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अग्निपथ योजना पर आगजनी करनेवालों से मुआवजा नहीं वसूलेगी सरकार, हाईकोर्ट में कहा - हम पूरी तरह से मुस्तैद थे, सिर्फ बदनाम करने की है साजिश

अग्निपथ योजना पर आगजनी करनेवालों से मुआवजा नहीं वसूलेगी सरकार, हाईकोर्ट में कहा - हम पूरी तरह से मुस्तैद थे, सिर्फ बदनाम करने की है साजिश

PATNA : बिहार में अग्निपथ योजना के विरोध में तीन दिन तक पूरा बिहार जलता रहा। कई ट्रेनों को जला दिया गया। लभगग पांच सौ करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ। लेकिन बात जब आगजनी करनेवालों से मुआवजा वसूलने की हुई तो बिहार सरकार ने इससे इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट में दायर एक याचिका पर सरकार की तरफ बताया गया है कि वह किसी से कोई मुआवजा नहीं वसूलेगी। जिसके बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

दरअसल, बिहार में अग्निपथ योजना के विरोध के नाम पर जिस तरह बीते महीने प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्पात मचाया। उसके बाद पटना हाईकोर्ट ने सरकारी संपत्ति के हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से करने की मांग करने वाली जनहित याचिका दायर किया गया था।   याचिकाकर्ता के मुताबिक इस घटना को समय रहते नहीं रोक पाने वाले सरकारी अधिकारियों पर भी कानूनी कार्रवाई की जाए और उनपर जुर्माना लगाया जाए। कोर्ट को बताया गया कि इस उग्र और हिंसक आंदोलन के कारण न सिर्फ रेलवे को काफी नुकसान हुआ, बल्कि आम नागरिकों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ गई। दानापुर रेल मंडल को करीब 260 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उनका कहना था कि इस आंदोलन में क्षतिग्रस्त संपत्ति का आकलन कर आंदोलनकारियों से पैसों की वसूली की जाए। साथ ही इस आंदोलन में भाग लेने वाली राजनीतिक पार्टियों पर भी जुर्माना लगाया जाए। 


पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एस कुमार की खंडपीठ ने शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई की। इस दौरान महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि इस आंदोलन से निपटने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह मुस्तैद थी। सरकार ने आंदोलन को रोकने के लिए सख्त इंतजाम किए थे लेकिन गलत नीयत से सरकार को बदनाम करने के लिए इस प्रकार की लोकहित याचिका दायर की गई है। 

इस दौरान महाधिवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने अराजक तत्वों पर कार्रवाई की है। सरकारी संपत्ति की रक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे। महाधिवक्ता की ओर से दी गई जानकारी के बाद कोर्ट ने लोकहित याचिका को खारिज कर दिया।


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