पटना- हाईकोर्ट में राज्य में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई 23अगस्त,2024 को होगी। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ द्वारा इस जनहित याचिका पर सुनवाई की जा रही है।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया था। ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में लगभग दस हजार अस्पताल है,जबकि निबंधित फरमासिस्टों की संख्या 6 सौ से कुछ अधिक है।
उन्होंने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखें गए पर्ची पर नबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है।
उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी थी कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिना जानकारी और योग्यता के ही ये लोग मरीजों को दवा देते है,जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है।
उन्होंने कोर्ट को बताया था कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स,एएनएम,क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है,बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ है।
उन्होंने कोर्ट को बताया था कि फार्मेसी एक्ट,1948 के तहत फार्मेसी से सम्बंधित विभिन्न प्रकार के कार्यों के अलग अलग पदों का सृजन किया जाना चाहिए।लेकिन बिहार सरकार ने इस सम्बन्ध में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।
उन्होंने कोर्ट के समक्ष दलीलें रखते हुए कहा था इससे आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है।उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट,1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए।
ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करें,क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है।उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल द्वारा बड़े पैमाने पर फर्जी पंजीकरण किया गया है।राज्य में बड़ी संख्या मे फर्जी फार्मासिस्ट कार्य कर रहे है।
इस मामलें पर अगली सुनवाई 23 अगस्त, 2024 को जाएगी।