PATNA : पटना के राजीवनगर स्थित नेपालीनगर कॉलोनी की जमीन पर अपनी दावेदारी जताकर पटना आवास बोर्ड खुद मुश्किल में फंस गया है। पटना हाईकोर्ट ने कॉलोनी की जमीन पर हुए अवैध कब्जे के लिए आवास बोर्ड को ही जिम्मेदार बता दिया है। साथ ही हाईकोर्ट ने आवास बोर्ड में पिछले 25 साल में जितने भी एमडी और मुख्य अधिकारी रहे हैं, उन सबके नामों की सूचि कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ कोर्ट ने राजीव नगर थाने में अब तक तैनात सारे थानेदारों की सूचि भी सौंपने को कहा है। वैसे सभी कोऑपरेटिव वालों की भी जानकारी मांगी, जिन्होंने अतिक्रमण बढ़ाने में मदद की।
इससे पहले पटना हाईकोर्ट ने राजीव नगर स्थित नेपाली नगर के निवासियों को बड़ी राहत देते हुए अतिक्रमण हटाने पर लगी रोक की अवधि को मामले का निपटारा होने तक के लिए बढ़ा दिया है। साथ ही वहां यथा स्थिति बहाल रखने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने बिजली-पानी की मूलभूत सुविधाएं बहाल करने का भी निर्देश दिया। इस दौरान कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यथा स्थिति के दौरान जो मकान टूट गया है, उसे कोई नहीं बनाएगा। न्यायाधीश ने कहा कि जरूरत पड़ी तो विजिलेंस जांच का आदेश दे सकते हैं
न्यायाधीश ने सख्त लफ्जों में कहा-सारी गड़बड़ी हाउसिंग बोर्ड की है। पिछले 25 वर्षों में आवास बोर्ड में तैनात एमडी और अधिकारियों की सूची कोर्ट को उपलब्ध कराई जाए। इसके साथ राजीव नगर थाने में अब तक तैनात थानेदारों की सूची भी सौंपें। कोर्ट ने रविवार को प्रशासन द्वारा कार्रवाई करने पर भी आपत्ति जताई। वैसे सभी कोऑपरेटिव वालों की भी जानकारी मांगी, जिन्होंने अतिक्रमण बढ़ाने में मदद की। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यथा स्थिति के दौरान जो मकान टूट गया है, उसे कोई नहीं बनाएगा। न्यायाधीश ने कहा कि जरूरत पड़ी तो विजिलेंस जांच का आदेश दे सकते हैं। पढ़ें पटना फ्रंट भी
पांच अधिकारियों की भूमिका शक के दायरे में
दीघा के 1024.52 एकड़ का विवाद सुलझाने के लिए सरकार ने 2010 में कानून बनाया। आवास बोर्ड ने कैंप कार्यालय भी खोला। यहां अबतक पांच एसडीओ की प्रतिनियुक्ति की गई। इसमें तुफैल अंसारी, जियाउल हसन, सुजीत कुमार, प्रकाश चंद राजू और रंजीत रणवीर शामिल हैं। इन्हीं अफसरों के कार्यकाल में आशियाना-दीघा रोड के 400 एकड़ क्षेत्र में सबसे अधिक मकान बने।