बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

जातिगत जनगणना में रोहिंग्या और बांग्लादेशी का गणना न हो इस पर रहे ध्यान, BJP अध्यक्ष का सुझाव

जातिगत जनगणना में रोहिंग्या और बांग्लादेशी का गणना न हो इस पर रहे ध्यान, BJP अध्यक्ष का सुझाव

पटना. बिहार में जातीय जनगणना को लेकर आज सर्वदलीय बैठक हुई। इसमें सभी पार्टियों ने जाति अधारित गणना का समर्थन किया है। सीएम नीतीश ने बैठक के बाद बताया कि कैबिनेट मीटिंग में पास करवाकर जल्द बिहार में जातीय जनगणना शुरू हो जाएगी। अब इसको लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक पर अपन सुझाव दिया है। उन्होंने बताया है कि जातिगत जनगणना में रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुटे, इसका ध्यान रखना होगा।

संजय जायसवाल का फेसबुक पोस्ट

'जातिगत जनगणना को लेकर आज आयोजित बैठक के बाद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने फेसबुक के जरिए बैठक में उठे विषयों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि आज पटना में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में जातीय गणना को लेकर आयोजित सर्वदलीय बैठक में शामिल हुआ। इस बात की सहमति व्यक्त की गई कि जातीय एवं जाति में भी उपजातीय आधारित सभी धर्मों की गणना या सर्वेक्षण होगा।

उन्होंने लिखा कि हम केंद्र के बाबा साहब अंबेडकर के संविधान प्रदत सातवें शेड्यूल के अधिकारों में किसी तरह की छेड़खानी नहीं करेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने भी कहा कि यह सर्वे या गणना ओबीसी कमीशन या अन्य तरह से होनी चाहिए। डॉ. जायसवाल ने लिखा कि भारत सरकार अपने जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती हैं। अभी माननीय नरेंद्र मोदी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीब कल्याण के लिए ही हैं। हम कभी उसमें जाति आधारित विभेद नहीं करते।

बैठक में जातिगत जनगणना से जुड़ी आशंकाओं पर हुई चर्चा के बारे में बताते हुए उन्होंने लिखा मैंने अपनी बातों को रखते हुए मुख्यमंत्री के सामने तीन आशंकाएं प्रकट की जिनका निदान गणना करने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से बताना होगा।

उन्होंने लिखा कि पहला, जातीय एवं उप-जातीय गणना के कारण कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाए और बाद में वह इसी के आधार पर नागरिकता को आधार नहीं बनाए।

दूसरा, सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुतायत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हकमारी करने का काम करते हैं। यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं, वह इस गणना के आड़ में पिछड़े अथवा अति-पिछड़े नहीं बन जाएं। उन्होंने लिखा कि ऐसे हजारों उदाहरण सीमांचल में मौजूद हैं जिनके कारण बिहार के सभी पिछड़ों की हकमारी होती है।

तीसरी आशंका के तौर पर उन्होंने लिखा कि भारत में सरकारी तौर पर 3747 जातियां है और केंद्र सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4.30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है। यह बिहार में भी नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है।'

Suggested News