औरंगाबाद के लोगों ने श्री सीमेंट प्लांट के खिलाफ खोला मोर्चा, जान माल की रक्षा के लिए डीएम से लगाया गुहार

औरंगाबाद के लोगों ने श्री सीमेंट प्लांट के खिलाफ खोला मोर्चा, जान माल की रक्षा के लिए डीएम से लगाया गुहार

AURANGABAD : बिहार का औरंगाबाद जिला जहां प्रचंड गर्मी की तपीश में झूलस रहा है। वही औरंगाबाद शहर के लोग पानी के एक एक बूँद के लिये तरस रहे हैं। वजह है की शहर का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। जिसके कारण जल के लिए लोग इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं। चारों तरफ पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है। हालात यहां तक हो गई है कि शहर के कई हिस्सों में पानी के लिए शहरवासी भगवान भरोसे बोरिंग करवाने पर विवश हैं। क्योंकि उनके घर बार-बार बोरिंग किये जाने पर भी उन्हें अब धरती से पानी नहीं मिल पा रही है। 

नतीजतन, शहरवासी काफी आक्रोशित हैं। शहरवासियों का कहना है कि इसका एकमात्र कारण शहर के नजदीक सीमेन्ट फैक्ट्ररी है। जिसके द्वारा प्लांट के अंदर ही भारी मात्रा में बड़ी बड़ी बोरिंग करवाकर पानी जमीन के अंदर से निकाला जा रहा है। जिसके कारण आज औरंगाबाद में पीने की पानी का किल्लत हो गया है। जिसके जिम्मेवार कुछ जनप्रतिनिधि भी है। उन्ही के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारण इस समस्या ने विकराल रूप ले लिया है। क्योंकि सीमेंन्ट प्लांट के प्रबंधन अपने मानक शर्तों के अनुरूप कार्य नही कर रहे है और मनमानी तरीका  से जमीन के अंदर से पानी की निकासी कर रहा है। जिसके खिलाफ शहरवासियों ने उच्च न्यायालय में सीमेंट फैक्टरी के विरुद्ध रिट याचिका दायर करने की तैयारी की है। 

वहीं शहरवासियों की पानी की समस्याओं को लेकर अब सरकार के सता पक्ष एवं विपक्ष श्री सीमेन्ट कम्पनी के उपर हमलावर हो गई है और सीमेन्ट फैक्ट्ररी के विरूद्ध झंडा को बुलंद कर दिया है। कई नेताओं ने अब श्री सीमेंट प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने कहा कि पानी की समस्या का एक ही कारण सिर्फ और सिर्फ सीमेन्ट फैक्टरी है.जो विकराल समस्याआ को लेकर जिला प्रशासन से इस गंभीर मामलों पर निष्पक्ष रूप से निजात दिलाने की मांग भी की है। हालात तो यहां तक हो गये कि अब सभी लोगो ने सीमेन्ट फैक्टरी को शहर से दूर स्थापित करने की मांग तक कर डाली। 

अगर औरंगाबाद शहर में पानी की समस्या को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये तो भविष्य में यह आंदोलन में तेजी आ सकती है और कभी भी लोग सड़क पर आ सकते है। जिसे नजरअंदाज करना प्रबंधन एवं जिला प्रशासन के लिए कड़ी चुनौती बन सकता है। जरूरत है ऐसे में जल संकट को देखते हुए जिला प्रशासन एवं सीमेंट फैक्टरी प्रबंधन के खिलाफ जिला प्रशासन पहल करे। ताकि पानी की समस्या पर रोक लगाया जा सके। अब यह देखना लाजमी होगा कि जिला प्रशासन पानी की समस्या पर कितना गम्भीरतापूर्वक कदम उठाती हैं। यह तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा या फिर ढाक के तीन पात वाली कहानी चरितार्थ बनकर रह जायेगी। 

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट

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