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पिछले 30 वर्षों से जन्माष्टमी का त्योहार नहीं मनाती इस थाने की पुलिस, जानिए क्या है पूरा मामला

पिछले 30 वर्षों से जन्माष्टमी का त्योहार नहीं मनाती इस थाने की पुलिस, जानिए क्या है पूरा मामला

KUSHINAGAR : पिछले 30 वर्षों से कुशीनगर की पुलिस जन्माष्टमी का त्यौहार नहीं मानती है। इसके पीछे की 30 अगस्त 1994 की वह दर्दनाक घटना है। जिसमें जंगल पार्टी के डकैतों से लोहा ले रहे छह पुलिस जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे।

गौरतलब है की 13 मई 1994  को देवरिया जनपद से अलग होकर कुशीनगर जनपद अभी नया नया अस्तित्व में आया था। उस समय पडरौना शहर को जिला मुख्यालय बनाया गया था और पहले एसपी बुद्ध चंद्र को तैनाती मिली थी। जन्माष्टमी का त्योहार पड़ा था। सभी लोग त्योहार मनाने में मग्न थे। पुलिस वाले भी अपने-अपने थानों में त्योहार मनाने की तैयारी में लगे हुए थे कि अचानक एक सूचना मिली की  पडरौना कोतवाली के पंचरुखिया गांव में जंगल का शिव बेचू मास्टर उर्फ राम प्यारे कुशवाहा और सिपाही का गैंग राधा कृष्ण गुप्ता के घर डकैती डालने वह हत्या की योजना बना रहे हैं। तत्कालीन पडरौना के कोतवाल योगेंद्र प्रताप सिंह ने इसकी सूचना एसपी बुध चंद्र गोदी एसपी ने कोतवाल को थाने में मौजूद फोर्स के अलावा मिश्रौली डोल मेले में लगे जवानों को लेकर मौके पर पहुंचने का निर्देश दिया।

एसपी ने थानाध्यक्ष अनिल पांडे को इस अभियान में शामिल होने का आदेश दिया। बताते चलें कि अनिल पांडे बदमाशों के साथ एनकाउंटर करने के लिए काफी प्रसिद्ध थे। पडरौना के डीएसपी आरपी सिंह व हाटा के डीएसपी रहे गंगानाथ त्रिपाठी के नेतृत्व में दो अलग-अलग टीम  बनाई गई। पुलिस टीम रात्रि 9:30 बजे बांसी नदी के किनारे पहुंची। नदी पार करके पंचरूखिया गाँव पहुचना था। उस समय बड़ी नाव या कोई आधुनिक संसाधन नहीं थे। पुलिस टीम ने स्थानीय नाविक भूखल को बुलाया व उसकी छोटी नाव से नदी पार करने का निर्णय लिया। किसी तरह  पुलिस टीम नदी पार कर पचरुखिया गांव में पहुंचकर तलाशी ली। लेकिन बदमाशों का कोई सुराग नहीं मिला तो वापस लौटने का फैसला किया गया। एक टीम उसी नाव पर सवार होकर सुरक्षित वापस लौट गई। 

दूसरी टीम नाव पर सवार होकर जैसे ही बीच नदी में पहुंची कि बदमाशों ने पुलिस टीम पर गोली चलानी शुरू कर दी। इसमें नाविक भूखल व सिपाही विश्वनाथ यादव को गोली लगी और वे पानी में गिर पड़े। इससे नाव असंतुलित होकर पलट गयी। इसमे सवार पुलिस वाले डूबने लगे। ऊपर से बदमाश ताबडतोड़ गोली चला रहे थे। लगभग 40 राउंड फायर व बम फेंका और डकैत वहाँ से फरार हो गए। 

सूचना मिलते ही पूरे जनपद में हड़कंप मच गया। बड़ी संख्या में पुलिस टीम मौके पर पहुंची और छानबीन शुरू किया तो पता चला कि थानाध्यक्ष अनिल पांडे, थानाध्यक्ष राजेंद्र यादव, सिपाही नागेंद्र पांडेय, खेदन सिंह ,विश्वनाथ यादव और परशुराम गुप्त शहीद हो गए थे। नाविक भूखल की भी मौत हो गयी थी। टीम में शामिल दरोगा अंगद राय सिपाही लाल जी यादव, श्याम शंकर राय व अनिल सिंह घायल अवस्था में किसी तरह बच गये थे। इसके बाद कुशीनगर पुलिस ने अपने शहीद साथियों के याद में जन्माष्टमी का पर्व नहीं मनाने का फैसला किया जो तीस बर्ष बाद भी जारी है।

कुशीनगर से विद्या बाबा की रिपोर्ट

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