बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

थानेदार ही है ई - रिक्शा चोर,बिहार के इस थाने के साहेब गए बुरी तरह फंस,कोर्ट की टिप्पणी से वर्दी वालों की पिटी भद्द

थानेदार ही है ई - रिक्शा चोर,बिहार के इस थाने के साहेब गए बुरी तरह फंस,कोर्ट की टिप्पणी से वर्दी वालों की पिटी भद्द

पूरे बिहार में कड़कड़ाती ठंड का प्रकोप है.इस कंपकंपाती ठंड में कोर्ट ने गोपालगंज थानाध्यक्ष प्रशांत कुमार राय को ही चोर बता दिया.ई-रिक्शा जब्ती मामले में थानाध्यक्ष ने पीड़ित को पांच महीने तक थाने-कोर्ट का चक्कर लगवाया. कोर्ट ने चार बार आदेश जारी किया पर क्या मजाल जो थानेदार के कान पर दू भी रेंगी हो.साहेब कोर्ट में अपने हाजिर न होकर अधीनस्थों को भेज देते ते. अब इस मामले में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने नगर थानाध्यक्ष पर चोरी का मामला दर्ज करने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी  ने एसपी को थानाधिकारी प्रशांत के खिलाफ विधिसम्मत कार्रवाई कराने का आदेश दिया.मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी  ने इस मामले को आगे की सुनवाई और निष्पादन के लिए न्यायिक दंडाधिकारी, प्रथम को स्थानांतरित कर दिया है। 

पीड़ित का आरोप लगाते हुए कहा कि ई-रिक्शा छुड़ाने के लिए उससे पैसे मांगे गे. पीड़ित शिवनंदन यादव ने बताया कि उसके ई-रिक्शे को थानेदार ने 2 अगस्त 2023 को बिना कारण जब्त कर लिया. उन्होंने  उसे छोड़ने को कहा तो  पैसे मांगे गए. बाध्य हो कर उसने कोर्ट की शरण ली. अपर थानाध्यक्ष ने कोर्ट में बताया कि ई-रिक्शा चालक ने दूसरे पक्ष से पैसे लिए थे, इसी विवाद में वाहन जब्त हुआ.तो पीड़ित पक्ष के वकील ने पूछा कि अगर किसी विवाद में ई- रिक्सा जब्त किया गया तो घटना के 5 महीने बाद भी प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई?'

वहीं इस मामले में पुलिस का कहना है कि पहरण का मामला है. कोर्ट ने इस संबंध में थानेदार से केस डायरी और प्राथमिकी की कॉपी मांगी तो एसआई लालू प्रसाद मल्लाह ने कोर्ट को बताया कि रुपए नहीं देने पर चंदेश्वर ने रिक्शा सहित शिवनंदन यादव का अपहरण कर उसके भतीजे से पांच लाख की फिरौती मांगी थी. पुलिस शिवनंदन और अभियुक्त को रिक्शा के साथ थाने ले आई. समझौता करा दोनों को छोड़ दिया, लेकिन शिवनंदन रिक्शा नहीं ले गया।

फिर कोर्ट ने कहा कहा कि अपहरण-फिरौती की प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हुई.कोर्ट ने आगे पूछा कि  जब दोनों पक्षों में समझौता हो गया तो केस डायरी में इसका उल्लेख क्यों नहीं है? ई-रिक्शा जब्ती की सूचना पुलिस अधीक्षक को क्यों नहीं दी गई? न्यायालय ने कहा कि  थानाध्यक्ष प्रशांत राय का काम चोरी करने जैसा है. उन पर ई- रिक्शा चोरी का आरोप साबित होता है.कोर्ट ने आदेश दिया कि थानाध्यक्ष ई-रिक्शा पीड़ित शिवनंदन यादव के हवाले करें.

बहरहाल गोपालगंज न्यायालय के निर्णय के बाद पुलिस महकमें में हड़कंप मचा है तो  पुलिस के कार्यशैली पर भी जमकर सवाल खड़े हो रहे हैं.

Suggested News