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कोरोना के कारण लोगों में बढ़ रही नींद न आने की समस्या, न्यूरोलॉजिस्ट ने इसे नया नाम ‘कोविडसोम्निया’ दिया

कोरोना के कारण लोगों में बढ़ रही नींद न आने की समस्या, न्यूरोलॉजिस्ट ने इसे नया नाम ‘कोविडसोम्निया’ दिया

Desk:-कोरोना महामारी ने दुनियाभर के लोगों का नींद हराम करके रखा है, वे ढंग से सो नहीं पा रहे है। कई मीडिया संस्थाओं ने विभिन्न देशों में नींद से जुड़ा एक सर्वे किया गया है। सर्वे में 37% लोगों ने माना है कि महामारी ने उनकी नींद पर बुरा असर डाला है।

सर्वे में शामिल 70% युवाओं ने कहा कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद उन्हें नींद से जुड़ी एक या उससे अधिक प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। महिलाओं में इस तरह की समस्या और ज्यादा देखी गई है।

दुनिया भर के स्लीप न्यूरोलॉजिस्ट ने इसके लिए एक नया शब्द इजाद किया है जिसे ‘कोविडसोम्निया’ नाम दिया गया  है।  न्यूरोलॉजी विभाग के मुताबिक, इसके पीछे कोरोना वायरस से संक्रमित होने का डर, फोबिया, फैमिली के किसी भी सदस्य और करीबियों के स्वास्थ्य के प्रति चिंता है।जानिए साइकियाट्रिस्टसे , इस नींद की समस्या से निपटने का  इलाज..

कोविडसोम्निया का कारण क्या है?
कोरोना के कारण लोगों में स्ट्रेस और तनाव काफी बढ़ गया है। इसी तनाव के चलते लोग इंसोम्निया (नींद न आना या टूट जाना) के शिकार हो रहे हैं। अगस्त, 2020 में कई यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च कहती है कि लॉकडाउन के दौरान चीन में इंसोम्निया की दर 14.6 से 20% तक बढ़ गई। इटली और ग्रीस में यह दर 40% तक पाई गई।

कौन से लक्षण अलर्ट करते हैं?
नींद न आना या बार-बार टूटना। दिन के वक्त थकान महसूस होना या नींद आना। सोते वक्त बार-बार उठना। या देर से सोने के बाद भी जल्दी नींद खुल जाना जैसे लक्षण कोविडसोम्निया के हैं

इस समस्या से ऐसे निपटें

बॉडी की स्ट्रेचिंग अच्छी तरह से करे| योग और ध्यान का सहारा लें

दूसरा तरीका- दोपहर में कैफीन न लें: 

दोपहर 2 बजे के बाद चाय, कॉफी कम पिएं। नींद की गहरी अवस्था, जिसमें रैपिड आई मूवमेंट होता है उसे कैफीन प्रभावित करती है।

तीसरा तरीका- सोने से पहले मोबाइल से बचें: 

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, मोबाइल, टीवी, कम्प्यूटर की ब्लू स्क्रीन हार्मोन मेलाटोनिन की मात्रा को कम करती है। पलकों का झपकना भी कम होता है।

चौथा तरीका- कमरे का तापमान:   

नेशनल स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, बेडरूम का तापमान 16-19 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए। यह नींद लाने में मदद करता है।

नींद न आने से सेहत पर असर

  • हार्ट अटैक का खतरा:   डॉक्टरों के मुताबिक, नींद पूरी न होने पर ब्लड प्रेशर लंबे समय तक बढ़ा हुआ रहता है। ब्लड प्रेशर की यही बढ़ोतरी ही हृदय रोगों की बड़ी वजह है।
  • मोटापा:           लेप्टिन और घ्रेलिन दो ऐसे हार्मोन हैं जो भूख को नियंत्रित करते हैं। नींद पूरी न होने पर हार्मोन्स का संतुलन इस तरह बिगड़ता है कि भूख ज्यादा लगती है।
  • टाइप-डायबिटीज:      डायबिटीज/मेटाबॉलिज्म रिसर्च एंड रिव्यू के मुताबिक, अनिद्रा की स्थिति में शरीर लगातार तनाव में रहता है। तनाव डायबिटीज का बड़ा कारण है।


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