लालू के स्वागत में लगे नारे ने नीतीश कुमार की नींद कर दी हराम,गुड़ गोबर करने का पूरा प्लान,न इधर के रहेंगे न उधर के

पटना- इंडिया गठबंधन का नेता कैसा हो लालू यादव जैसा हो, के नारों से उस वक्त गूंज उठा जब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दिल्ली से पटना एयरपोर्ट पहुंचे थे. अब जब नारे लगे तो इसके राजनीतिक मायने भी निकाले जाने लगे. विपक्षियों को एकमंच पर लाने की कोशिश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरु की तो उनकी मुहीम रंग लाती दिख रही है, विपक्षियों का इंडिया गठबंधन बन चुका है.दो बैठकें हो चुकी है. तीसरी बैठक 31 अगस्त को होने वाली है. वहीं उम्र बढ़ने के बावजूद लालू प्रसाद की सक्रियता में कोई कमी नहीं दिख रही है और लालू यादव की सक्रियता को महज संयोग नही माना जा सकता,ऐसे में इंडिया गठबंधन का नेता कैसा हो लालू यादव जैसा हो के नारे के लगने के स्वभाविक तौर पर राजनीतिक मायने निकाले जाएंगे. थोड़ा पीछे चलते हैं. याद कीजिए महागठबंधन के साथ नीतीश के आते ही यह तय हुआ था कि वे केंद्र की राजनीति करेंगे और लालू के बेटे तेजस्वी यादव बिहार की सत्ता संभालेंगे. तो नीतीश ने भी 2025 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़ने की बात कह कर अपने लिए वक्त ले लिया.
17 साल तक लगातार नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले हुए हैं.सरकार चाहे महागठबंधन की हो या एनडीए की, नीतीश पर कोई असर नहीं पड़ा. लेकिन नीतीश कुमार अब चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं. लालू ने नीतीश को प्रधानमंत्री पद का सपना दिखाया. 26 दलों के इंडिया गठबंधन बन गई है, अब जब गठबंधन बन गया तो लालू की राजनीति पर भारी पड़ रहे नीतीश कुमार घिरते नजर आ रहे हैं. इंडिया महागठबंधन के दूसरे बैठक में नीतीश प्रेस कॉन्फेंस में शामिल नहीं हुए. अब लालू प्रसाद ने नीतीश की इस तरह घेराबंदी कर दी है कि उससे निकल पाना नीतीश के लिए आसान नहीं होगा, याद कीजिए पटना में विपक्षी दलों को लेकर होने वाली बैठक एक बार तो टाल दी गई वहीं दूसरी बार भी टलने की स्थिति में पहुंच गई थी,लालू की पहल के बाद राहुल और खड़गे आने को तैयार हुए,आए भी.कांग्रेस के नेता जब नीतीश कुमार से मिलने को तैयार नहीं थे तो लालू की मदद से ही मुलाकात संभव हो पाई. 12 जून की बैठक जब टल गई तो 23 जून की बैठक के लिए लालू ने खुद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे को फोन किया, अखिलेश यादव को मनाया, स्टालिन को तेजस्वी ने तैयार किया.लालू परिवार ने विपक्षी दलों की बैठक को सफल बनाने में खासी भूमिका निभायी . बैठक हुई और बैठक में लालू छा गए.
राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव का प्रभाव है कि दिल्ली में उनसे मुलाकात करने कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी 4 अगस्त को मीसा भारती के आवास पर पहुंचे थे. राहुल गांधी लालू यादव ने गुलदस्ता भेंट किया और फिर गले लगाया. इसके बाद काफी देर तक दोनों नेताओं में बातचीत भी हुई. राहुल गांधी की संसद की सदस्यता भी फिर से बहाल होने के बाद कांग्रेस का मनोबल ऊंचा है. वहीं लालू प्रसाद यादव इतने स्वस्थ नहीं हैं कि वे संयोजक बनें. वे खुद भी नहीं चाहेंगे कि संयोजक बनें, वे दूसरी भूमिका में रहेंगे और नीतीश कुमार को आगे बढ़ाएंगे.लालू जितनी जल्दी हो सके, नीतीश को बिहार से बाहर का रास्ता दिखाने की जुगत में लगे हैं.इंडिया के दो बैठकों के बावजूद विपक्षी दलों का संयोजक नीतीश नहीं बन पाए हैं तो कारण है कि कांग्रेस नीतीश को संयोजक बनाने के पक्ष में नहीं है.अगर नीतीश संयोजक नहीं बने तो तेजस्वी को कुर्सी भी नहीं मिलेगी ,ये लालू जानते हैं.. वहीं लालू प्रसाद भाजपा विरोधी खेमे के देश के बड़े नेता हैं. राहुल से मुलाकात में लालू ने सुझाव दिया कि समन्वय समिति में दो पद रखें जाएं. एक पद अध्यक्ष का हो और दूसरा पद संयोजक का और कंवेनर का पोस्ट नीतीश को दिया जाए और इंडिया महागठबंधन की चेयरपर्सन सोनिया गांधी बने. ये हुआ तो लालू का सपना पूरा होगा और तेजस्वी के हाथ में बिहार की सत्ता होगी.
ऐसे में अब जब इंडिया गठबंधन का नेता कैसा हो लालू यादव जैसा हो, नारा पटना एयरपोर्ट पर शुक्रवार को लालू के समर्थकों ने लगाया तो इससे नीतीश खेमे में बेचैनी बढ़ना भी स्वभाविक ही है. लालू प्रसाद के समर्थक चाहते हैं कि लालू प्रसाद संयोजक बनें. लेकिन लालू के स्वास्थ्य कारणों से और राजनीतिक कारणों से संयोजक बनना भले ही संभव न हो ऐसे में वे नीतीश को हीं आगे बढ़ाएंगे. लेकिन वे इंडिया गठबंधन में बिना पद के भी महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगे इतना तो तय है.