पटना. मोहर्रम को मातम का दिन माना जाता है लेकिन मंगलवार को बिहार की राजनीति में मोहर्रम का दिन ही नई नेमतों का पाक दिन बन गया. दरअसल, लम्बे अरसे से आसार लगाए जा रहे थे नीतीश कुमार का नाता एनडीए से टूट जाएगा और वाह पाक दिन आया भी तो मातम के महीने मोहर्रम को. यानी मोहर्रम को ही जदयू और राजद की ईद हो गई. शायद यही कारण रहा कि नीतीश कुमार के एनडीए से नाता तोड़ने की घोषणा के कुछ घंटे पहले लालू के बड़े बेटे और राजद नेता तेज प्रताप यादव ने पत्रकारों से बात करते हुए मोहर्रम की बधाई दे दी. जबकि मोहर्रम की बधाई नहीं दी जाती है.
संयोग से मोहर्रम को बन रहे नीतीश और तेजस्वी के नए गठबंधन का सूत्रधार रमजान का पाक महीना था. 23 अप्रैल को राबड़ी देवी के आवास पर इफ्तार जलसा हुआ था. राबड़ी देवी ने अपने सरकारी 10 सर्कुलर आवास पर रोजेदारों के लिए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुए थे. साथ ही भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, चिराग पासवान समेत कई सियासी हस्ती शामिल हुए. इन सियासी हस्तियों के अलावा बड़ी संख्या में रोजेदार भी इस इफ्तार पार्टी में पहुंचे और यहां आकर अपना रोजा खोला. इसके बाद इन रोजेदारों ने देश दुनिया की बेहतरी की कामना की.
उस दौरान नीतीश कुमार का लालू परिवार के सदस्यों के साथ काफी आत्मीय मुलाकात देखने को मिला था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब राबड़ी आवास पहुंचे, तब लालू परिवार ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया. तेजप्रताप से लेकर मीसा भारती राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार के साथ काफी देर तक बातचीत की. तेजप्रताप यादव ने तब मीडिया से कहा था कि जल्द ही हमलोग सरकार बनाएंगे तेजस्वी मुख्यमंत्री बनेंगे. हालांकि उनसे जब यह जानने की कोशिश की कि क्या नीतीश कुमार उस सरकार का हिस्सा होंगे तो इसपर तेजप्रताप ने कहा कि इसका जवाब उनसे लीजिए, वैसे हमलोग मिलकर सरकार बनाएंगे.
उस समय तेज प्रताप के बयान को हल्के में लिया गया. लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इफ्तार के दौरान हुई मुलाकात में ही भविष्य की राजनीति की रणनीति बनाई गई. अप्रैल से अगस्त आते आते कई मौके आए जब नीतीश कुमार के प्रति राजद और तेजस्वी-तेजप्रताप का सॉफ्ट कोर्नर देखने को मिला. चाहे जातीय जनगणना हो या अग्निपथ का मामला या फिर रेलवे एनटीपीसी परीक्षा या फिर कई मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ हुई बयानबाजी. सबमें नीतीश कुमार और जदयू के बोल में राजद नेताओं के बोल मिले रहे.
अंत में, भले रमजान का महीना रहमतों का महीना हो लेकिन नीतीश और तेजस्वी के गठजोड़ का रहमत मोहर्रम में आया. सीएम नीतीश ने जब मंगलवार को ट्विट कर कहा मुहर्रम के अवसर पर कर्बला के शहीदों एवं हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को नमन. राज्यवासियों से अपील है कि हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को याद करते हुए उनके आदर्शों को अपनाएं. सीएम नीतीश के ट्विट के कोई नहीं जानता था कि मोहर्रम के अवसर पर कर्बला के शहीदों एवं हजरत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को नमन करते हुए नीतीश कुमार की चाल से भाजपा सत्ता की कुर्सी की चाल में कुर्बान हो जाएगी.