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प्यासी धरती को समय से पहले मिलेगा पानी, इसबार झमाझम होगी बारिश, मौसम विभाग ने बता दिया जल्दी आएगा मानसून!

प्यासी धरती को समय से पहले मिलेगा पानी, इसबार झमाझम होगी बारिश, मौसम विभाग ने बता दिया जल्दी आएगा मानसून!

पटना- भीषण गर्मी के बीच मौसम विभाग ने कहा है कि इस साल देश में झमाझम बारिश होगी. मौसम विभाग के अनुसार मानसून के दौरान पूरे देश में सामान्य से ज्यादा बरसात होने की संभावना व्यक्त की है. दक्षिण-पश्चिम मानसून के तहत एक जून से 30 सितंबर के बीच 106 फीसदी बारिश हो सकती है.  मौसम विभाग के अनुसार अल नीनो, ला नीनो, हिंद महासागर द्विध्रुव स्थितियां और उत्तरी गोलार्ध में बर्फीले आवरण संबंधी स्थिति के प्रभाव को देखता है और यह सभी स्थितियां इस बार भारत में अच्छे मानसून के अनुकूल है. 

उत्तर पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों को छोड़कर देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की प्रबल संभावना है

अगर मानसून लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) की 96 फीसदी से 104 प्रतिशत के बीच बारिश होती है तो वह सामान्य मानी जाती है। एलपीए की 106 फीसदी बारिश सामान्य से अधिक की श्रेणी में आती है। मौसम विभाग के अनुसार, वर्तमान में भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र पर अल नीनो की मध्यम स्थिति बनी हुई है तथा मानसून के शुरुआती दौर में अल नीनो की स्थिति और कमजोर होकर तटस्थ अल नीनो-दक्षिणी दोलन में बदलने की संभावना है. इसके बाद अगस्त-सितंबर में ला नीना स्थितियां विकसित होंगी.

वहीं भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र की सतह पर हवा का दबाव निम्‍न होने पर ये स्थिति पैदा होती है. जब पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज होती है, तब समंदर की सतह का तापमान काफी कम हो जाता है. ला नीना से आमतौर पर उत्तर-पश्चिम में मौसम ठंडा और दक्षिण-पूर्व में मौसम गर्म होता है. इसके चलते उत्तरी ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुत अधिक नमी वाली स्थिति उत्पन्न होती है, जबकि इंडोनेशिया और आसपास के इलाकों में काफी बारिश हो सकती है. भारत में  इसके चलते ज्‍यादा ठंड पड़ती है और अच्‍छी बारिश होती है.

ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्य क्षेत्र में समंदर के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं .समुंद्र की सतह का तापमान 4-5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है. पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है. भारत के संदर्भ में देखें तो अल नीनो स्थितियां शुष्क परिस्थितियों से जुड़ी हैं और ये देश में मॉनसून को कमजोर करती है. अल नीनो दक्षिण अमेरिका की तरफ सक्रिय हो तो भारत में उस साल कम बारिश होती है.

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