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धनकुबेरों पर प्रहार! भवन निर्माण के करोड़पति इंजीनियर बेनकाब, इधर RCD के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की 'पत्नी' 21-22 में अचानक हो गईं 'जमींदार', सरकार को दिखाया था ठेंगा...जांच कब ?

धनकुबेरों पर प्रहार! भवन निर्माण के करोड़पति इंजीनियर बेनकाब, इधर RCD के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की 'पत्नी' 21-22 में अचानक हो गईं 'जमींदार', सरकार को दिखाया था ठेंगा...जांच कब ?

PATNA: पटना में निगरानी ब्यूरो ने शुक्रवार को एक बड़ी मछली को गिरफ्तार किया है। बताया जाता है कि इस बड़ी मछली की पहुंच ऊपर तक थी। ऊपर का धौंस दिखाकर भ्रष्ट इंजीनियर ठेकेदारों से जबरन वसूली करता था। लेकिन पाप का घड़ा एक दिन भर गया. तब न ऊपर वाली अदृश्य शक्ति काम आई और न उंची पहुंच-पैरवी और पैसा ही काम आया। भवन निर्माण विभाग के भ्रष्ट कार्यपालक अभियंता संजीत कुमार को निगरानी ब्यूरो ने उसके बंगले से ही टांग लिया। निगरानी ब्यूरो की छापेमारी में भवन निर्माण विभाग केंद्रीय प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता संजीत कुमार के ठिकानों से करोड़ों रू भी बरामद किए हैं.वैसे संजीत कुमार अकेला ऐसा धनकुबेर इंजीनियर नहीं पकड़ा गया है। इसके पहले भी कई धनकुबेर इंजीनियर पकड़े गए हैं. कुछ इंजीनियर तो ऐसे हैं जिन्होंने पत्नी के नाम पर अकूत संपत्ति अर्जित की और उसे सरकार की नजरों से छुपा लिया। जब बिहार में जांच एजेंसियां सक्रिय हुईं तो पथ निर्माण विभाग के एक कार्यपालक अभियंता ने अचानक सैकड़ों डिसमिल जमीन को संपत्ति के ब्योरा में सार्वजनिक किया। बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा कि आखिर इंजीनियर साहब 2021 तक संपत्ति छुपाये हुए क्यों थे? क्या छापा के डर से मजबूरी में उन्हें संपत्ति को पब्लिक डोमेन में लाना पड़ा। वैसे पथ निर्माण विभाग और भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़ी जांच एजेंसियों को ऐसे अफसरों के खिलाफ भी जांच करनी चाहिए कि आखिर संपत्ति छुपाने के पीछे वजह क्या है? 

RCD कार्यपालक अभियंता ने 2021 तक छुपाए रखी संपत्ति 

हम बात कर रहे हैं पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार की। शैलेश कुमार कुछ समय पहले तक बिहार पुल निर्माण निगम पटना में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर पदस्थापित थे. अक्टूबर 2022 में इन्हें किशनगंज में पथ निर्माण विभाग का कार्यपालक अभियंता बनाकर भेजा गया है. इन्होंने 2020-21 में अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया था उसमें पत्नी के नाम पर एक ईंच जमीन का उल्लेख नहीं किया था। स्पाउस (wife) की संपत्ति वाले खाने में NILL का उल्लेख किया था. वर्ष 2020-21 तक इंजीनियर साहब की पत्नी के नाम पर न तो कृषि योग्य भूमि थी और न गैर कृषि योग्य। यानी पत्नी बिल्कुल ही भूमिहीन थीं. लेकिन अगले साल इंजीनियर शैलेश कुमार की पत्नी जमींदार बन गईं. अचानक उनके नाम पर पांच बीघा से अधिक जमीन हो गया। खुद कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार ने 2021-22 में अपनी संपत्ति के ब्योरा में इसका उल्लेख किया है. 6 फरवरी 2022 को सरकार को दिये संपत्ति ब्योरा में पत्नी के नाम पर 306 डिसमिल कृषि योग्य और 18 डिसमिल गैर कृषि योग्य भूमि का उल्लेख किया है। जबकि 31 जनवरी 2021 को इंजीनियर ने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया था उसमें पत्नी के नाम पर एक डिसमिल जमीन का भी उल्लेख नहीं किया था। इसके पहले यानि 2019-20 के संपत्ति के ब्योरा में भी पत्नी के नाम जमीन का जिक्र नहीं किया है. 

2021 तक नहीं दी जानकारी, अचानक 2022 में किया सार्वजनिक 

आखिर एक साल में ही इंजीनियर के पास इतनी जमीन कहां से आ गई। इस पर हमने तहकीकात किया।  तब पता चला कि पत्नी के नाम पर जमीन तो पहले से ही है. लेकिन इंजीनियर साहब ने पत्नी के नाम पर खरीदी गई जमीन के बारे में सरकार को जानकारी नहीं दी थी। पत्नी के नाम पर बांका में 2016-19 में ही जमीन खरीदी गई. इसके अलावे पटना में भी। अब बड़ा सवाल यही है कि आखिर पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर ने पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति को इसके पहले तक छुपा क्यों रहे थे. तब हमने किशनंगज में पदस्थापित पथ निर्माण के कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार से पूछा था। तब उन्होंने कहा था कि ऐसी बात नहीं है। मैं हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा सरकार को देता हूं. जब हमने पूछा कि पिछले साल तक तो आपने पत्नी के नाम वाली संपत्ति का उल्लेख तो नहीं किया था...अचानक पत्नी के नाम इतनी जमीन ? तब कार्यपालक अभियंता ने कहा कि कहीं कोई तकनीकी गड़बड़ी हुई होगी,इसी वजह से यह समस्या हुई होगी। वैसे कार्यपालक अभियंता ने अपनी संपत्ति के ब्योरा में एक और बड़ी गड़बड़ी की है. जांच एजेंसियां अगर तहकीकात करे तो बड़ा खुलासा हो सकता है। साथ ही सरकार द्वारा हर साल संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने का आदेश है,उसका किस तरह से माखौल उड़ाया जा रहा, इससे भी पर्दा उठेगा।  

2020- 21 में दिए गए संपत्ति का ब्योरा  

अचनाक 2021-22 में पत्नी के नाम 324 डिसमिल जमीन हो गया

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