औरंगाबाद में स्कूली छात्रों की जान पर बना खतरा, चचरी पुल पार कर स्कूल जाते हैं सैकड़ों बच्चे

औरंगाबाद में स्कूली छात्रों की जान पर बना खतरा, चचरी पुल पार

AURANGABAD : कहा जाता है की पूर्व प्रधानमन्त्री स्व.लाल बहादूर शास्त्री गंगा नदी पार कर पढ़ाई करने जाते थे। जिसके लिए उनके हिम्मत की दाद दी जाती है। ऐसा ही नजारा औरंगाबाद जिले में देखने को मिला है, जहाँ सैकड़ों बच्चे अपनी जान जोखिम में डालकर स्कूल आने जाने पर मजबूर हैं। 

मामला देव प्रखंड के हसौली पंचायत के कुंडा ग्राम का है, जहां एक तरफ पूरा देश आजादी के 75 वें वर्षगाँठ पर अमृत महोत्सव मना रहा है। वही यह गाँव बिहार सरकार के विकास का पोल खोल रहा है। यह चचरी का पुल जिसके सहारे नदी पार कर आज कई गांवो के बच्चे स्कूल जाने पर मजबूर हैं।

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इस चचरी पूल से विद्यालय आने वाले बच्चो ने बताया कि गर्मी के दिनों में तो परेशानी नहीं होती, लेकिन बरसात के दिन में स्कूल जाने और लौटने के दौरान इसे पार करते वक्त यह डर लगता है कि कही गिर न जाएं। यहां एक अदद पूल निर्माण के लिए सांसद, विधायक से गुहार लगाई गई। लेकिन आश्वासन के अलावे कुछ नहीं मिला। ग्रामीण राकेश कुमार ने बताया कि चुनावी मौसम में ही सिर्फ राजनीतिक पार्टियों को पुलिया की याद आती है और वोट लेकर चले जाते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार राम ने बताया कि विधायक आनंद शंकर को तो कम से कम इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए था। लेकिन उनके द्वारा कुछ भी नहीं किया गया। वही कुंडा गांव निवासी पवन महतो ने बताया कि पुलिया निर्माण के लिए उनके द्वारा वर्ष 2009 में तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री भगवान सिंह कुशवाहा को और वर्ष 2012 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आवेदन दिया था, लेकिन अभी तक कहीं कोई काम नहीं हुआ।

औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट