नई दिल्ली. आरबीआई की ओर से अगर मंजूरी मिली तो जल्द ही देश में बड़े कॉरपोरेट घरानों और निजी उद्योग घरानों को ग कारोबार करने की अनुमति मिल सकती है. यानी उद्योग घरानों की ओर से निजी बैंकों का संचालन किया जा सकता है. इसके लिए आरबीआई के स्तर पर विचार विमर्श लम्बे समय से गतिमान है.
हालाँकि हितों के टकराव और संभावित प्रणालीगत मुद्दों जैसे स्पष्ट जोखिमों के कारण रिजर्व बैंक ने बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने के लिए एक आंतरिक समिति की सिफारिश को मंजूर नहीं किया था. वहीं अब केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर राजेश्वर राव ने कहा है कि इस संबंध में विचार-विमर्श अभी जारी है. उन्होंने साफ किया कि ऐसा नहीं है कि बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग कारोबार में एंट्री देने का मसला ठंडा पड़ चुका है बल्कि इस दिशा में अभी विचार विमर्श जारी है.
वहीं, आरबीआई ने पिछले महीने के अंत में निजी क्षेत्र के बैंकों के स्वामित्व पर नए दिशानिर्देश सार्वजनिक किए थे. इसके बाद आईबीआई की तरफ से पहली अधिकारिक टिप्पणी के रूप में राव ने कहा कि सभी मुद्दों की बारीकी से जांच की जरूरत है और बड़े औद्योगिक घरानों या उनके द्वारा शुरू की गई गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) को बैंक स्थापित करने की अनुमति देने के संबंध में अंतिम फैसला अभी नहीं किया गया है.
उन्होंने कहा कि बैंकिंग एक अत्यधिक लाभकारी व्यवसाय है, जो जनता के पैसे से चलता है.इसलिए अन्य उद्योगों / व्यवसाय तथा बैंकिंग को अलग रखने की बात औचित्यपूर्ण है. इसमें जोखिमों को ध्यान में रखकर ही कोई भी निर्णय लिया जाएगा. यह एक ऐसा मसला है जो सीधे तौर पर आम लोगों से जुड़ा है.