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'लालू राज में फ्रीडम ऑफ प्रेस थी...नीतीश राज में 'मीडिया' आजाद नहीं ! वही CM नीतीश कुमार अब 'मीडिया' को आजाद कराने निकले हैं...

'लालू राज में फ्रीडम ऑफ प्रेस थी...नीतीश राज में 'मीडिया' आजाद नहीं ! वही CM नीतीश कुमार अब 'मीडिया' को आजाद कराने निकले हैं...

PATNA: क्या मीडिया की आजादी छीन गई है ? क्या प्रिंट-इलेक्ट्रानिक मीडिया स्वतंत्र नहीं है ? क्या बिहार की मीडिया वाकई में आजाद है ? क्या बिहार के हिंदी अखबार नीतीश सरकार की नाकामी को लिख पाते हैं ? गलती से भी बिहार के जिस अखबार ने नीतीश सरकार की नाकामी लिख दिया,क्या उनका विज्ञापन बंद नहीं होता है ? ये तमाम सवाल फिर से जिंदा हो गए हैं. क्यों कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार इन बातों को दुहरा रहे हैं कि मीडिया पर किसी एक का कब्जा हो गया है. इस कब्जे से मुक्ति दिलानी है. हर भाषण में उनकी यही चिंता रहती है कि हमलोगों की खबरे नहीं छपती हैं. जबकि बिना काम किए ही उनलोगों की खबरे ज्य़ादा छपती है. शुक्रवार को मुंबई में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह दर्द सार्वजनिक हो गया. विपक्षी एकता को लेकर आयोजित बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश कुमार ने अपना आधा वक्त सिर्फ मीडिया पर ही बोला. नीतीश राज में मीडिया की वाकई में फ्रीडम है...प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के तत्कालीन चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने पटना में ही नीतीश राज की असलियत की पोल खोल कर रख दी थी. तब भारी बवेला मचा था. 

बिहार में मीडिया आजाद नहीं : जस्टिस काटजू 

प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के तत्कालीन चेयरमैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू 23-24 फरवरी 2012 को पटना में थे. वर्ष 2012 में पटना में उन्होंने कहा था, “मैंने सुना है कि ''लालू राज में फ्रीडम ऑफ प्रेस होती थी, लेकिन अब बिहार में फ्रीडम ऑफ प्रेस नहीं है.” जस्टिस काटजू ने पटना विश्वविद्यालय में एक सेमिनार में कहा था कि बिहार में भले ही कानून-व्यवस्था की हालत सुधर गई हो, लेकिन जहां तक मीडिया की आजादी का सवाल है, उस पर सरकार का काफी दबाव है। हालांकि उन्होंने साफ किया था कि उनके पास इसका कोई ठोस आधार नहीं है और वह सुनी-सुनाई बातों के आधार पर बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि मीडिया पर दबाव के आरोपों की जांच कराई जाए। जस्टिस काटजू के मुताबिक अगर कोई सरकार के खिलाफ लिख देता है, तो उसका तबादला करवा दिया जाता है। जस्टिस काटजू के इन बयानों का कुछ लोगों ने विरोध भी किया, लेकिन बड़ी संख्या में छात्र उनके बयान से सहमत नजर आए। जिस वक्त यह सब चल रहा था, उस समय बिहार के राज्यपाल देवानंद कुंवर भी मंच पर मौजूद थे।

भाजपा ने मीडिया पर कब्जा कर लिया है-नीतीश 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुंबई में फिर से वही बात दुहराई. कहा कि उन लोगों ने मीडिया पर ही कब्जा कर लिया है. सिर्फ उन्हीं का छपता है. काम करते कम हैं और छपता ज्यादा है. एक बार जब उनसे मुक्ति मिल जाएगी तो प्रेस वाले आजाद हो जाएंगे. जब आजाद हो जाएंगे तो जो उचित होगा वही लिखेंगे और बोलेंगे. प्रेस वाले जब लिखते हैं तो उसका असर जनता पर कितना होता है...?  आजकल देख रहे हैं... कोई काम नहीं हो रहा है फिर भी उन्हीं का छपता है. देश के इतिहास को यह लोग बदलना चाहते हैं. हम लोग एकजुट होकर रहना है और देश के इतिहास को नहीं बदलने देना है. समाज के हर तपके का उत्थान होगा. किसी तबके की उपेक्षा नहीं होगी. यह लोग बहुत कोशिश करते रहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम का विवाद हो जाय. लेकिन सबको एकजुट होकर रहना है. देश तो सबका है, सबको एकजुट रहना है. सबका अच्छा काम करना है, सबको साथ लेकर आगे बढ़ना है.

सीएम नीतीश ने आगे कहा कि अब अच्छा हो गया है, बहुत कोशिश किया,कहते रहे की मिल जाइए. अब तो हो ही गया है. सब मिल गए हैं. अब तो मैं यही चाहता हूं कि बहुत तेजी से काम हो जाए. अब तय हो गया है, बहुत तेजी से काम हो . कोई ठिकाना नहीं है की चुनाव समय से पहले हो जाए. इसलिए हम लोग को अलर्ट रहना है .सब लोगों के बीच चर्चा हुई है, काम दिया गया है. अब हम लोग एकजुट हो गए हैं. अब आप लोग(मीडिय़ा) भी लिखते रहिएगा. हम लोगों की बात को भी लिखते रहिएगा. 

बता दें, मुंबई में शुक्रवार को इंडिया की बैठक में  तीन प्रस्ताव पारित किए गए. कांग्रेस की ओर से कहा गया कि आगामी लोकसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ने को लेकर INDIA (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्ल्युसिव एलायंस) के दलों का प्रस्ताव तीन है. इसके अनुसार INDIA के सभी दल, जहां तक संभव हो सके, आगामी लोकसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ने का संकल्प लेते हैं। विभिन्न राज्यों में सीट-बंटवारे की प्रक्रिया तुरंत शुरू की जाएगी और विचार-विमर्श की सहयोगात्मक भावना के साथ इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।

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