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पटना हाईकोर्ट का अहम् फ़ैसला, राज्य के किसी पैक्स में परिवार का होगा केवल एक सदस्य

पटना हाईकोर्ट का अहम् फ़ैसला, राज्य के किसी पैक्स में परिवार का होगा केवल एक सदस्य

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया कि अब राज्य के किसी भी पैक्स में परिवार के एक ही सदस्य हो सकते हैं। जस्टिस ए अमानुल्लाह की खंडपीठ ने उमेश कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्णय दिया। गौरतलब है कि अब तक एक ही परिवार के कई लोग पेक्स के सदस्य बन जाते थे। हाई कोर्ट ने सहकारिता विभाग को कई अहम निर्देश दिया।


कोर्ट ने सहकारिता विभाग को सहकारिता कानून का सख्ती से पालन करने को कहा है। कोर्ट में उपस्थित विभाग के सचिव वंदना प्रेयसी को इस बारे में जल्द नीति निर्धारण करने का आदेश दिया। साथ ही पैक्स के वोटर लिस्ट को सुधार करने के बारे में दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिया। जिला स्तर के अधिकारियों के काम काज पर नजर रखने की बात कही। आवेदक के अधिवक्ता एसबीके मंगलम ने कोर्ट को बताया कि वैशाली जिला के पीरापुर मथुरा पैक्स में सदस्य बनने के लिए 392 लोगों ने ऑनलाइन आवेदन किये। उनके आवेदन को यह कहते हुए रद्द कर दिये कि कुछ के आवेदन पर आवेदक का हस्ताक्षर नहीं है। वही इस आधार पर कुछ के आवेदन पर दो सदस्यों का अनुशंसा नहीं है। उनका कहना था कि बाद में बगैर किसी को बताये सभी को सदस्य बना दिया गया। फिर उन सभी को मतदाता सूची से हटा दिया गया और पैक्स का चुनाव करवा लिया गया।

आवेदक के अधिवक्ता मंगलम की ओर से पेश दलीलों पर कोर्ट ने जब अधिकारियों से सदस्य बनाये जाने के बारे में जवाब तलब किया, तो किसी ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया। कोर्ट ने जिला सहकारिता अधिकारी से सवाल किया, तो एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सकें। इसके बाद कोर्ट ने डीजी विजलेंस को सबसे पहले जिला सहकारिता अधिकारी के बारे में जांच करने का निर्देश दिया। 

कोर्ट में उपस्थित सहकारिता सचिव ने कोर्ट को बताया कि विभाग अपने स्तर से सदस्य बनाये जाने को लेकर जल्द नीति निर्धारण करेगा। साथ ही मतदाताओं को चिन्हित करने के बारे में भी दिशा निर्देश जारी करेगा। वही कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में सहकारिता कानून का पालन नहीं किया जा रहा है। पैक्स में एक ही परिवार के कई सदस्यों को सदस्य बनाया जा रहा है।कोर्ट ने विभाग को दो माह के भीतर नीति निर्धारण करने तथा दिशा निर्देश जारी करने का आदेश दिया। साथ ही विभाग को अधिकारियों के बारे में आंतरिक जांच कर जिम्मेवारी तय करने तथा कानूनी कार्रवाई करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को चार सप्ताह के भीतर इस पैक्स का नये सिरे से चुनाव कराने के बारे में कार्रवाई करने का आदेश दिया। कोर्ट ने मामले को निष्पादित कर दिया।

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