स्कूल
में हमे जो कुछ पढ़ाया जाता है हम उसपर आंख बंद करके विश्वास कर लेते है और उसे रट
कर एग्जाम देने भी चले जाते है. हम आज आपको एक बार फिर स्कूल के दिनों में ले
जायेंगे लेकिन स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं, स्कूल की पढ़ाई को गलत बताने के लिए. जी
हाँ! स्कूल के बायोलॉजी चैप्टर में आपको पढ़ाए गए कुछ चीज़े गलत है. अपने एक कहावत
सुनी होगी 'लिटिल
नॉलेज इज़ डेंजरस' तो हम आपको पूरा नॉलेज देने वाले है.
कुत्ते-बिल्लियों
को दुनिया दिखती है ब्लैक एंड वाइट
हमें
स्कूल में यही बताया गया था की बिल्ली और कुत्ते को बीएस ब्लैक और वाइट कलर ही
दीखते है लेकिन एक एक्सपेरिमेंट में ये साफ हो गया है की बिल्ली और कुत्ते को लाल
रंग के अलावा सारे रंग नज़र आते है.
चिम्पांजी
विकसित होकर बने इंसान
हमें हमेशा से यही पढ़ाया गया था कि चिम्पांजी से विकसित होकर इंसान बने हैं. मगर Darwin की थ्योरी के अनुसार बंदर, चिम्पांजी और इंसानों के बीच काफी चीजें एक जैसी हैं इसलिए हमारे पूर्वज एक जैसे रहे होंगे. ये कहना गलत है कि हम चिम्पांजी से विकसित होकर इंसान बने हैं.
ऊँट
अपने कूबड़ में स्टोर करते हैं पानी
स्कूल में पढ़ाया गया कि ऊठ रेगिस्तान में ज़िंदा रहने के लिए अपने कूबड़ में पानी स्टोर करके रखता है. लेकिन उनके कूबड़ में दरअसल फैट टिशूज रहते हैं जो उन्हें एनर्जी देते हैं.
डर
के मारे शुतुरमुर्ग रेत में छिपा लेते हैं अपना सिर
शुतुरमुर्ग
डर से रेत में नहीं छिपते वो डर से भागने लगता है. जब वे कंकड़ गटक लेते है तब रेत
में सर घुसा लेते है.
खाद्य
श्रंखला में इंसान होते है सबसे ऊपर
अपने स्कूल में ये तस्वीर जरूर देखी होगी और इसको देखने के बाद आपको सबकुछ यद् भी आ गया होगा। इसमें इंसान सबसे ऊपर होता है इसका मतलब की वो सभी जानवरों को खता है जो की गलत है.