पटना-देश के बड़े उद्योपतियों में शुमार गौतम अडानी का समूह बिहार में एक बड़ा निवेश करने जा रहा है. अडानी एंटरप्राइजेज के डायरेक्टर प्रणव अडानी ने बताया कि उनकी कंपनी बिहार में सीमेंट से लेकर लॉजिस्टिक्स में 8700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त निवेश करेगी. उन्होने कहा कि इस निवेश से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तौर पर लोगों के लिए नौकरियों के अवसर बनेंगे. क़रीब 13 करोड़ की आबादी वाले बिहार राज्य के पास सबसे बड़ा संसाधन उसके लोग हैं. राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक़ यहां की 53 फ़ीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र की है.सरकार का दावा है कि बिहार में उद्योगों के लिए कच्चा माल, बुनियादी ढांचा, कामगार और सरकारी सहायता सब कुछ मौजूद है.पड़ोसी राज्यों नेपाल, बांग्लादेश और भूटान को मिला दें तो बिहार और इसके आसपास क़रीब 40 करोड़ की आबादी बसती है जो औद्योगिक उत्पादन के लिए एक बड़ा बाज़ार मुहैया कराती है.विपक्षी अडानी को लेकर भले हीं केद्र की मोदी सरकार पर सवाल खड़े करते हों लेकिन राज्य में उद्योग धंदा लगाने को लेकर उन्हें अडानी से कोई गुरेज नहीं है.
दवा उद्योग-बड़ी संभावना
राज्य सरकार का कहना है कि बिहार में 99% दवाएं दूसरे राज्यों से मंगाई जाती हैं. राज्य में सालाना क़रीब 2500 करोड़ रुपये की दवाओं की खपत है. यानी यहां दवा उद्योग की भी बड़ी संभावना है.बिहार में भागलपुर और इसके आसपास का इलाक़ा देश में सिल्क फ़ैब्रिक के उत्पादन के लिए जाना जाता है.जूट के उत्पादन में भी बिहार काफ़ी आगे है. जबकि दरभंगा का मखाना, मुज़फ़्फ़रपुर की शाही लीची और भागलपुर का ज़र्दालू आम भी काफ़ी मशहूर है और इन्हें जीआई टैग भी मिला हुआ है.सरकार का कहना है कि राज्य में 3000 करोड़ का लैंड बैंक मौजूद है और यहां 75 औद्योगिक क्षेत्र हैं. यहां राज्य सरकार चमड़ा उद्योग, कपड़ा उद्योग, फूड पार्क और आईटी सेक्टर की भी अपार संभावना देखती है.बिहार के पटना, गया और दरभंगा में एयरपोर्ट मौजूद है. राज्य सरकार के मुताबिक़ बिहार रोड डेनसिटी के मामले में देश में तीसरे नंबर पर है. एक तरफ जहां देशभर के कई राज्यों में पानी की समस्या है, वहीं बिहार में इसकी कोई कमी नहीं है.
उद्योगों का विकास धीमा
बिहार में सस्ते कामगार भी मौजूद हैं. यानी किसी भी उद्योग को जो कुछ चाहिए, वह सब बिहार में मौजूद है. फिर भी यहां उद्योगों का विकास धीमा है. इस विकास को रफ़्तार देना राज्य की बड़ी ज़रूरत है ताकि यहां से मज़दूरों के पलायन को भी कम किया जा सके.बिहार में फ़िलहाल ‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दलों का शासन है. विपक्षी दलों ने कई बार केंद्र की मोदी सरकार और अदानी ग्रुप के बीच संबंध का आरोप लगाया है.बिहार में निजी कंपनियों के निवेश को बढ़ाने के लिए राजधानी पटना में दो दिनों के ‘बिहार बिज़नेस कनेक्ट 2023’ का आयोजन किया गया था. इसमें देश-विदेश की कई कंपनियां शामिल हुईं. जबकि 300 कंपनियों ने राज्य सरकार के साथ क़रीब 50 हज़ार करोड़ के निवेश का समझौता किया है.
कंपनी को बिहार लाने की योजना
हालाँकि अदानी ग्रुप के साथ बिहार में निवेश के मुद्दे पर समझौते के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. इस मौक़े पर न तो उन्होंने मंच से कुछ कहा, जहां देश-विदेश से आए कई निवेशक मौजूद थे और न ही पत्रकारों से बात की.‘इन्वेस्ट बिहार’ को थीम बनाकर राज्य सरकार ने कई तरह के दावे भी किए हैं. सरकार के मुताबिक़ उसका मक़सद ‘लैंड ऑफ़ हिस्ट्री’ रहे बिहार को निजी क्षेत्र की मदद से ‘लैंड ऑफ़ इंडस्ट्री’ बनाना है. यानी सरकार बिहार में औद्योगिक विकास पर जोर देने का दावा कर रही है. अडानी समूह छह अलग-अलग स्थानों पूर्णिया, बेगूसराय, दरभंगा, समस्तीपुर, किशनगंज और अररिया में निवेश करेगा. अडानी ने कहा कि कंपनी राज्य में ईवी-चार्जिंग स्टेशन लगाने की भी योजना बना रही है. अडानी विल्मर को बिहार लाने की भी योजना पर काम चल रहा है. सीमेंट उत्पादन में 2,500 करोड़ रुपये के निवेश की योजना भी तैयार की है. उन्होंने कहा ''हमारा लक्ष्य एक साल में 10 मिलियन मीट्रिक टन का उत्पादन शुरू करना है. सीमेंट सेक्टर में निवेश से कम से कम 3000 लोगों के लिए रोजगार पैदा होगा.
इन सेक्टर्स में होगा निवेश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिखर सम्मेलन में बिहार लॉजिस्टिक्स नीति 2023 और एक कॉफी टेबल बुक जारी की. अडानी ने कहा कि बिहार अब देश में एक आकर्षक निवेश की जगह है. मौजूदा समय में यहां 850 करोड़ रुपये का निवेश है और हमारा लक्ष्य आने वाले समय में इसे 10 गुना बढ़ाना है, जो सीमेंट विनिर्माण, लॉजिस्टिक्स और कृषि उद्योग समेत कई सेक्टर्स में किया जाएगा.
निजी निवेश को बढ़ावा
बिहार के उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ ने बीबीसी को बताया है कि इस कार्यक्रम में अलग-अलग कंपनियों के 800 से ज़्यादा लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है. उनका कहना है कि कोई कंपनी घाटे का कारोबार करने कहीं नहीं जाती है और लोगों को बिहार पर भरोसा है इसलिए वो आए हैं. ‘इन्वेस्ट बिहार’ के तहत जिन कंपनियों ने राज्य में निवेश के लिए समझौता किया है, उनमें भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, पटेल एग्री इंडस्ट्रीज़ प्राइवेट लिमिटेड, होल्टेक इंटरनेशनल और इंडो यूरोपियन हार्ट हॉस्पिटल्स एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट भी शामिल हैं.नाहर ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज़ के सीएमडी कमल ओसवाल के मुताबिक़ उनकी कंपनी में 25 हज़ार लोग काम करते हैं, जिनमें 40 फ़ीसदी लोग बिहार के हैं. कंपनी ने राज्य में 300 करोड़ की लागत से लॉजिस्टिक पार्क बनाने का क़रार किया है.राज्य सरकार की तरफ से निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के दावे भी किए गए हैं. दरअसल गंगा के मैदानी इलाक़े में बसे इस राज्य में बहुत बड़ी आबादी बसती है. राज्य में ग़रीबी और बेरोज़गारी एक बड़ी समस्या है.
‘वर्क कल्चर’ की जरुरत
स्थानीय स्तर पर रोज़गार के कम मौक़े होने की वजह से बड़ी तादात में बिहार के कामगार और मज़दूर देश के कई राज्यों में काम की तलाश में जाते हैं. बिहार सरकार लंबे समय से राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग भी केंद्र सरकार से करती रही है.बिहार में सबकुछ है, लेकिन ‘सब कुछ होना’ सांकेतिक नहीं हो, बल्कि यह ज़रूरत के लिए पर्याप्त होना चाहिए.“बिहार में सबसे ज़्यादा ज़रूरत ‘वर्क कल्चर’ बनाने की है. यहां क़ानून और व्यवस्था को दुरुस्त रखना सबसे बड़ी ज़रूरत है. यह सच है कि आज बिहार में बड़े नरसंहार नहीं होते हैं, बड़े अपराध नहीं होते हैं. लेकिन सड़क पर अपराध बंद नहीं हुए हैं.”अगर आपके इलाक़े के सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे हैं तो यह भी वर्क कल्चर को दिखाता है. उद्योग के विकास के लिए कच्चे माल के केंद्र यानी गांव के स्तर से लेकर ऊपर तक सारी व्यवस्था ठीक होनी चाहिए. इसमें सिपाही, दरोगा, ज़िला प्रशासन, अधिकारी और सचिव तक सब शामिल हैं.
अपराध दर में बढ़ोत्तरी पड़ सकता है भारी
दरअसल किसी भी उद्योग के लिए कच्चे माल की ढुलाई से लेकर तैयार माल को बाज़ार तक पहुँचाने में अलग-अलग स्तर पर काम होता है और इसमें स्थानीय मज़दूर, गाड़ी, ड्राइवर, फ़ैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारी और कंपनी के बाक़ी लोग भी शामिल होते हैं.निजी कंपनियों को हर स्तर पर को मिलने वाली सहूलियत उद्योगों के विकास के लिए एक बड़ी ज़रूरत मानी जाती है. जबकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक़ अपहरण और क़त्ल के मामले में बिहार देश के शीर्ष तीन राज्यों में है.सड़क हादसों के मामलों में बिहार काफ़ी आगे है. एनसीआरबी के मुताबिक़ धार्मिक स्थलों के पास सड़क हादसे के मामलों में बिहार का स्थान सबसे ऊपर है. यानी यह आँकड़ा राज़्य में सड़कों की हालत और ट्रैफ़िक व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है.
अधिकारियों के मुताबिक, नवादा के वारसलीगंज में अडानी ग्रुप की ओर से इस सीमेंट फैक्ट्री से रोजगार के नए रास्ते खुल जाएंगे. इससे इस क्षेत्र का विकास होगा और यहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा. अंबुजा सीमेंट लिमिटेड सीमेंट एवं बिल्डिंग मैटिरियल उत्पादन से जुड़ी कंपनी है. इस फैक्ट्री के जरिए करीब दो से तीन हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. अप्रत्यक्ष रूप से इस फैक्ट्री से करीब 6 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा. इस कंपनी के जरिए 6.0 एमटीपीए का सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट स्थापित किया जाएगा.
बहरहाल बिहार में उद्योगों के लगने का सिलसिला शुरु हो गया है. अब सरकार की नीतीयां के इसके भविष्य की दिशा और दशा तय करेंगी. देखना होगा कि इसकी रफ्तार तेज होती है या बाबूगिरि की भेट चढ़ जाएगी.