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बिहार में ऐसे होती है परीक्षा! संसाधन के अभाव में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का बेड़ा गर्क, कैसे सुधारेंगे पाठक जी..जब सरकार ही लाचार है

बिहार में ऐसे होती है परीक्षा! संसाधन के अभाव में प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का बेड़ा गर्क, कैसे सुधारेंगे पाठक जी..जब सरकार ही लाचार है

PATNA : बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए लगातार शिक्षकों को नियमित रूप से स्कूल में आने के निर्देश हैं। साथ ही उन छात्रों का नाम स्कूल से काटने के लिए कहा गया है कि जो नियमित रूप से नहीं आते हैं। शिक्षा विभाग के एससीएस केके पाठक लगातार इसके लिए स्कूलों का दौरा कर रहे हैं। लेकिन शिक्षा विभाग स्कूलों के खस्ताहाल भवनों को सुधारने को लेकर अब तक कोई कदम नहीं उठाया जा सका है। स्कूलों में कमरे की कमी की स्थिति ऐसी है कि कई जगहों पर छात्रों को बैठने के लिए जगह तक नहीं है। स्कूलों के खराब भवनों को लेकर शिक्षा व्यवस्था का बेड़ागर्क कर दिया है।

परीक्षा में खुली व्यवस्था की पोल

दरअसल, शिक्षा विभाग द्वारा  9वीं व 10वीं की परीक्षा आयोजित की जा रही है। जिसकी एक तस्वीर लखीसराय के प्लस टू दुर्गा गर्ल्स स्कूल से सामने आई है। जहां एक हजार छात्राओं को दूसरी पाली में संस्कृत की परीक्षा देनी थी। स्कूल में मात्र दो कमरे हैं। सोमवार को मासिक परीक्षा शुरू हुई तो छात्राओं को बैठने में परेशानी हुई। 10 दरी किराए पर लेकर बगल में स्थित टाउनहॉल में जमीन परीक्षा लेने की व्यवस्था की। 500 छात्राओं ने यहां परीक्षा दी। 250 छात्राओं ने स्कूल की छत पर परीक्षा दी, जबकि 250 छात्राओं ने दोनों कक्षा व बरामदे में बैठकर परीक्षा दी। 

राजधानी पटना में भी यही हाल

ऐसी ही एक तस्वीर राजधानी पटना में भी सामने आई है। यहां स्थित अरविंद महिला कॉलेज में बिहार बोर्ड की इंटर की मासिक परीक्षा और पीपीयू की मिड सेमेस्टर परीक्षा एक साथ एक ही दिन आयोजित कर दी गई। जिससे न सिर्फ शिक्षकों, बल्कि परीक्षार्थियों में भी ऊहापोह की स्थिति रही। जगह नहीं मिलने के कारण कुछ छात्राएं छत पर तो कुछ सीढ़ियों पर ही परीक्षा देने बैठ गईं। कुछ बरामदे में तो कुछ दीवार के सहारे लिख रही थीं। कुछ छात्राएं मोबाइल पर देखकर और बात करते हुए भी परीक्षा दे रहीं थीं। राज्य के कई अन्य स्कूल और कॉलेजों में भी ऐसी ही स्थिति थी।

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