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कर्नाटक सरकार के इस फैसले से बिहार के हजारों लोगों को नहीं मिलेगा काम, कैबिनेट ने स्थानीय को प्राइवेट सेक्टर में 100 परसेंट आरक्षण को मंजूरी

कर्नाटक सरकार के इस फैसले से बिहार के हजारों लोगों को नहीं मिलेगा काम, कैबिनेट ने स्थानीय को प्राइवेट सेक्टर में 100 परसेंट आरक्षण को मंजूरी

DESK : कांग्रेस पार्टी खुद को गरीबों को गरीबों का सबसे बड़ा हिमायती बताती रही है। लेकिन अब कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार एक ऐसा बिल लाने जा रही है। जिसका सबसे ज्यादा नुकसान गरीब परिवारों को उठाना होगा। इसमें सबसे ज्यादा प्रभावित बिहार और यूपी के लोग होंगे। जो बड़ी संख्या में कर्नाटक में काम करने के लिए जाते हैं। जिन्हें अब कर्नाटक में काम करने का रास्ता हमेशा के लिए बंद होने जा रहा है।

दरअसल, कर्नाटक में जल्द ही प्राइवेट क्षेत्र की C और D कैटेगरीकी नौकरियों में स्थानीय लोगों यानी कि कर्नाटक के रहने वाले लोगों को 100 फीसदी आरक्षण मिलेगा. जिसके बाद प्रदेश के बाहर रहनेवाले लोगों को प्राइवेट फील्ड में इन दोनों कैटगरी में नौकरी का रास्ता बंद हो जाएगा। कैबिनेट ने पास किया बिल

 कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि मंत्रिमंडल ने निजी क्षेत्र में ग्रुप सी और डी के पदों पर कन्नड़ लोगों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण लागू करने संबंधी विधेयक को मंजूरी दे दी है. यह निर्णय सोमवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि, "हम कन्नड़ समर्थक सरकार हैं. हमारी प्राथमिकता कन्नड़ लोगों के कल्याण का ध्यान रखना है."

अपनी सरकार के फैसले की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार की इच्छा है कि कन्नड़ लोगों को कन्नड़ भूमि में नौकरियों से वंचित न होना पड़े और उन्हें अपनी मातृभूमि में आरामदायक जीवन जीने का अवसर दिया जाए.

कल विधानसभा में बिल किया जाएगा पेश

इस बिल का नाम Karnataka State Employment of Local Candidates in the Industries, Factories and Other Establishments Bill, 2024 है और इसे गुरुवार को विधानसभा में पेश किया जाएगा। माना जा रहा है बिल को पास होने में किसी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना होगा।

15 साल से रहनेवाले लोग ही होंगे स्थानीय

इस बिल में स्थानीय को परिभाषित करते कहा गया है कि स्थानीय वो है  जो कर्नाटक में जन्मा हो, 15 वर्षों से राज्य में निवास कर रहा हो, और स्पष्ट रूप से कन्नड़ बोलने, पढ़ने और लिखने में सक्षम हो.

बिल में कहा गया है कि यदि अभ्यर्थियों के पास कन्नड़ भाषा का माध्यमिक विद्यालय का प्रमाणपत्र नहीं है, तो उन्हें 'नोडल एजेंसी' की ओर से लिए जाने वाले कन्नड़ प्रवीणता परीक्षा पास करनी होगी।

मैनेजमेंट लेवल में भी 50 फीसदी आरक्षण

इस बिल में यह भी प्रावधान है कि कोई भी उद्योग, कारखाना या अन्य प्रतिष्ठानों को मैनेजमेंट कैटेगरी में 50 प्रतिशत स्थानीय लोगों की नियुक्ति करनी होगी और नॉन मैनेजमेंट कैटेगरी में 75 फीसदी स्थानीयलोगों की नियुक्ति करनी होगी।

इस तरह से कर्नाटक में अब मैनेजमेंट कैटेगरी में 50 फीसदी, नॉन मैनेजमेंट कैटेगरी में 75 फीसदी और सी और डी कैटेगरी की नौकरियों में 100 फीसदी स्थानीय लोगों की बहाली होगी।

इस बिल में कहा गया है कि यदि योग्य स्थानीय अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हैं, तो कंपनियों को सरकार या उसकी एजेंसियों के सक्रिय सहयोग से तीन वर्ष के भीतर उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कदम उठाने चाहिए.

छूट के लिए अर्जी दे सकती हैं कंपनियां

यदि पर्याप्त संख्या में स्थानीय अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हैं, तो कंपनियां इस नियम के प्रावधानों में छूट के लिए सरकार से आवेदन कर सकती हैं.

कर्नाटक सरकार का ये बिल कहता है कि सरकार की नोडल एजेंसी कंपनी में काम कर रहे कर्मचारियों के रिकॉर्ड्स की जांच कर सकेगी और स्टाफ के बारे में जानकारी हासिल कर सकेगी. अगर कोई भी कंपनी इन प्रावधानों का उल्लंघन करती है तो कंपनी पर जुर्माना लगाया जा सकेगा.

इंडस्ट्री लीडर्स ने जताई चिंता

हालांकि कई कंपनियों ने सरकार के इस बिल का विरोध जताया है और इससे होनेवाले नुकसान से सचेत भी किया है। इनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से निजी फर्मों को स्किल लेबर की समस्या हो सकती है. 

बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ इस फैसले पर प्रतिक्रिया देने वाली पहली कारोबारी प्रमुख हैं. उन्होंने कहा कि इस नीति से तकनीक के क्षेत्र में राज्य का टॉप पॉजिशन प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने टेक्नॉलजी ड्रिवेन और उच्च क्षमता वाली नौकरियों के लिए इस नियम से छुट की मांग की है। 

उन्होंने एक्स पर सिद्धारमैया, शिवकुमार और राज्य के मंत्री प्रियांक खड़गे को टैग करते हुए लिखा, "एक तकनीकी केंद्र के रूप में हमें कुशल प्रतिभा की आवश्यकता है और जबकि हमारा उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान करना है, हमें इस कदम से तकनीक के क्षेत्र में अपनी अग्रणी स्थिति को प्रभावित नहीं होने देना चाहिए, ऐसे नियम होने चाहिए जिससे उच्च कौशल वाली भर्तियों में इस नीति से छूट मिले।"

स्वर्ण समूह के प्रबंध निदेशक चि. वीएसवी प्रसाद ने भी ट्रेन्ड स्टाफ की कमी की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा कि ऐसी पाबंदियां रखने से अंततः सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं बंद हो जाएंगी और अगर बुनियादी ढांचा और उद्योगों पर ऐसी बाध्यताएं थोपी जाएंगी तो उद्योग भी बंद हो जाएंगे।

बता दें कि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु आई हब है.यहां कॉल सेंटर, बीपीओ और स्टार्ट अप के क्षेत्र में दूसरे राज्यों के हजारों युवा काम करते हैं।

बिहार को कैसे प्रभावित करेगा सरकार का फैसला

कर्नाटक सरकार के इस फैसला का सबसे ज्यादा प्रभाव बिहार और यूपी जैसे राज्यों पड़ेगा। जहां से हर साल हजारों की संख्या में लोग कर्नाटक में संचालित कंपनियों में काम करने के लिए जाते हैं। इन लोगों में ज्यादातर यहां ग्रुप सी और ग्रुप डी में ही काम करते हैं। वहीं मैनेजमेंट और आईटी क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में बिहार के युवक काम की तलाश में कर्नाटक जाते हैं।  


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