बिहार में हो रही जातीय गणना को रोकने के लिए सीएम के गृह जिले का शख्स ही कर रहा नाक में दम, सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका

NEW DELHI : बिहार में हो रही जातीय गणना को महागठबंधन की सरकार अपनी बड़ी कामयाबी मान रही है। लेकिन, इस पर रोक लगाने के लिए भी पूरी कोर्ट की सहायता भी ली जा रही है। जहां पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए 4 मई का समय दिया है। वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में अर्जेंट सुनवाई को तैयार हो गया है और आगामी 28 अप्रैल को इस पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि जनगणना क्षेत्र केंद्र सरकार का है। बिहार सरकार के पास जातीय गणना का अधिकार नहीं है। याचिका में इस संविधान के मूल अधिकारों का हनन बताया गया है।
नीतीश कुमार के गृह जिले के व्यक्ति ने दायर की याचिका
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका अखिलेश नाम के व्यक्ति ने की है। अखिलेश सिंह स्वास्थ्य विभाग के रिटायर्ड हेड क्लर्क के बेटे हैं। वह नालंदा के बड़गांव से सटे बेगमपुर गांव के रहने वाले हैं। एक फाइनेंस कंपनी में रिजनल हेड (नार्थ इंडिया हेड) के जिम्मेदारी निभाने वाले अखिलेश 9 साल से दिल्ली में हैं।
बेरोजगारी दिल्ली ले गई, लेकिन आज भी वह गांव से जुड़े हैं। वह सूर्य नारायण जागृति मंच (बड़गांव) से जुड़कर सामाजिक काम करते हैं, सामाजिक कार्यों के लिए हर माह दिल्ली से गांव आते हैं। सूर्य नरायण जागृति मंच की तरफ से वह हर साल छठ पूजा में 100 से अधिक वालंटियर के साथ श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं। इसी सेवाभाव से वह चर्चा में रहे हैं।
दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे
अखिलेश सिंह समेत 10 से 12 लोग याचिकाकर्ता हैं। जातीय गणना रोकने के लिए पहले भी याचिका लगाई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार करते हुए हाई कोर्ट जाने के लिए कह दिया था। इसके बाद फिर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। दलील दी गई कि अगर इस पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई तो जातिगत जनगणना पूरी हो जाएगी। फिर इसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
अखिलेश सिंह के साथ 12 और लोगों ने भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। जिसमें उन्होंने गणना पर रोक लगाने को लेकर इन बातों को आधार बनाया है।
1. जनगणना कराना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य सरकार इसे नहीं करा सकती।
2. ट्रांसजेंडर की कोई जाति नहीं होती। यह जेंडर है, इसे बिहार में जाति में बांट दिया गया है, जो गलत है।
3. कई जातियों को उनके मूल जातियों से हटा दिया गया है।