सीएम नीतीश के दावत-ए-इफ्तार में जुटेंगे कई सियासतदान... ये होंगे जदयू के सबसे खास मेहमान

सीएम नीतीश के दावत-ए-इफ्तार में जुटेंगे कई सियासतदान... ये होंगे जदयू के सबसे खास मेहमान

पटना. रमजान के अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शुक्रवार को दावत-ए-इफ्तार देंगे. उनकी इफ्तार पार्टी में बिहार के सभी सियासी दलों के खास लोगों को आमंत्रित करने की बात कही जा रही है. साथ ही सत्ताधारी महागठबंधन के सभी घटक दलों के नेताओं के अलावा भाजपा, लोजपा रामविलास, वीआईपी, एआईएमआईएम जैसे दलों के नेताओं को भी आमंत्रित करने की बातें आ रहा रही हैं. ऐसे में इस दावत-ए-इफ्तार में जुटने वाले सियासतदानों पर सबकी नजर होगी.

सीएम नीतीश की ओर से यह पहला मौका होगा जब वे महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राज्य में रमजान के अवसर पर दावत-ए-इफ्तार दे रहे हैं. पिछले साल अगस्त 2022 में राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी थी. उसके बाद पहली बार रमजान आया है. चुकी अगले साल लोकसभा का चुनाव हो रहा है और उसके बाद बिहार विधानसभा चुनाव 2025 होना है. इसलिए इस इफ्तार से नए सियासी समीकरण गढ़ने की बातें भी सामने आ रही हैं. 

बिहार की सियासत में हमेशा से मुस्लिम वोटों की अहम भूमिका रहती है. राजद नेता लालू यादव तो लम्बे समय से एमवाई यानी मुस्लिम –यादव समीकरण को साधकर राज्य में राजनीतिक को आगे बढ़ाते रहे हैं. वहीं वर्ष 2005 में नीतीश कुमार के सीएम बनने के बाद से उन्होंने जदयू की सियासी राह को सुगम बनाने के लिए मुस्लिमों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की. हालांकि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक बहुल सीमांचल के जिलों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने पांच सीटों पर जीत हासिल कर जदयू और राजद दोनों को बड़ा झटका दिया था. राजनीतिक जानकर मानते हैं कि नीतीश कुमार भी इससे चिंतित हैं और वे मुस्लिम वोटों को अपने से दूर होना नहीं देना चाहते. 

माना जा रहा है कि नीतीश की इस इफ्तार पार्टी के बहाने वे मुस्लिमों वोटों को साधने की कोशिश करेंगे. हालांकि नीतीश कुमार हर साल इफ्तार करते रहे हैं. इस बार के उनके इफ्तार में कई ऐसे मुस्लिमों चेहरों को विशेष अतिथि के रूप में देखा जा सकता है जो इस वर्ग के वोटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं. साथ ही वोटों के बिखराव से भाजपा को होने वाले सियासी फायदे को भी वे मुस्लिम बिरादरी को आगाह करने का संदेश दे सकते हैं. इससे अगले साल के लोकसभा चुनाव में जदयू मजबूती से अपनी पकड़ अल्पसंख्यक वोटों पर बना सकती है. 


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