PATNA: बिहार के एक उम्रदराज सांसद महोदय जो बड़े दल के वरिष्ठ नेता हैं, इन दिनों भारी टेंशन में हैं. टेंशन अपने क्षेत्र को लेकर है. संसदीय क्षेत्र में उनको लेकर पार्टी के अंदर ही भारी नाराजगी है. आगामी लोस चुनाव में उम्मीदवारी पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. 2019 के लोस चुनाव के दौरान ही इस बार अंतिम चुनाव है, इसकी घोषणा कर चुके हैं. इस बार उम्रदराज नेता जी को लेकर दल भी पूरी तरह बंटा हुआ दिख रहा है. उम्रदराज सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में पार्टी के अंदर अपनी सत्ता चलाते हैं. लेकिन एक गुट उनकी सत्ता को खुली चुनौती दे रहा है. प्रदेश मुख्यालय से लेकर केंद्रीय मुख्यालय तक इसकी जानकारी है. उम्रदराज सांसद महोदय दल के भीतर के प्रतिद्वंदी गुट को साफ करने के लिए निचले स्तर पर पहुंच गए. हालांकि इस बार दांव उल्टा पड़ गया है.
सफलता ही बन गई गले की फांस
अपने संसदीय क्षेत्र के एक नेता का संगठन में पत्ता साफ करने के लिए उम्रदराज सांसद ने अगस्त महीने में काफी मिहनत की थी. राजधानी में बैठकर तिकड़म भिड़ाया, नेतृत्व से मनुहार किया कि किसी तरह से हमारे विरोधी को प्रदेश कमेटी में जगह न दी जाय. कुछ हद तक ऐसा ही हुआ, पत्ता साफ करने में उम्रदराज नेताजी सफल हो गए. लेकिन यही सफलता उनके लिए गले की फांस बन गई. जिसका पत्ता साफ किया, उसने तो उनके संसदीय क्षेत्र में ऐसा पॉलिटिकल कोहराम मचाया,जिसकी कल्पना न तो उम्रदराज नेताजी ने किया होगा और न नेतृत्व ने. चोट खाए उक्त नेता ने उम्रदराज सांसद महोदय के क्षेत्र में पार्टी के झंड़ा-बैनर और कार्यकर्ताओं के साथ यात्रा निकाल दिया, सभा करने लगा. उम्रदराज सांसद से खार खाए उक्त नेता ने संसदीय क्षेत्र के सभी छह विधानसभा क्षेत्रों में घूमकर माहौल को गरमा दिया. यह होते देख उम्रदराज सांसद मुश्किल में प़ड़ गए.वे सोचे भी नहीं होंगे कि दांव उल्टा पड़ जाएगा. इसके बाद उन्होंने नेतृत्व से शिकायत की. लेकिन सामने वाला दल का नेता ऐसी कोई गलती ही नहीं कर रहा था, जिससे कि नेतृत्व को कार्रवाई करने पर विवश होना पड़े.
उम्रदराज सांसद की चाल को भांप रहे संसदीय क्षेत्र के लोग
उम्रदराज सांसद महोदय ने शिकायत से लेकर सेंटिंग का सारा हथियार झोंक दिया, लेकिन समस्या खत्म होने की बजाय और बढ़ते जा रही थी. सारा दांव-पेंच उल्टा पड़ जा रहा था. लिहाजा उन्होंने उस नेता को संसदीय क्षेत्र से हटाने की दूसरी प्लानिंग रची. इसी बीच पार्टी नेतृत्व ने उक्त नेता को हाल ही संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान छग के एक विधानसभा का प्रभारी बनाकर भेज दिया. वहां जाकर भी उस नेता ने संगठन में बेहतर काम किया और भाजपा कैंडिडेट बंपर वोट से चुनाव जीत गए. पार्टी सूत्र बताते हैं कि उम्रदराज सांसद को इस बात की चिंता सता रही कि अगर वो नेता सक्रिय रहा तो भारी परेशानी होगी. अगर हमें टिकट मिल भी गया तो 2024 का चुनाव मुश्किल भरा होगा. लिहाजा संसदीय क्षेत्र के उक्त नेता को अलग करने के लिए दूसरी चाल चली. लोकसभा का प्रभारी बनवाकर अपने क्षेत्र से अलग करने की कोशिश की. नेतृत्व ने उन्हें प्रभारी भी बना दिया. जानकार बताते हैं कि नेतृत्व के इस निर्णय से उम्रदराज सांसद महोदय खुश हो गए हैं. उन्हें लग रहा कि जो चैलेंज दे रहा था,वो ससंदीय क्षेत्र से हट गया. अब देखना होगा कि उम्रदराज नेता अपने मिशन में कामयाब हो पाते हैं या यह चाल भी उल्टा पड़ जाता है. क्यों कि उम्रदराज नेता के इस चाल को स्थानीय लोग भांप गए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि उम्रदराज नेताजी पहले डराते हैं, आप नहीं डरे तो फिर पॉलिटिकल सेटिंग करते हैं, उससे भी बात नहीं बनी तो फिर पुचकारते हैं. बता दें उम्रदराज नेताजी गांधी की ऐतिहासिक स्थल से ताल्लुक रखते हैं.