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नीतीश सरकार को निर्णय लेने में परेशानी! फाइल में साफ-साफ 'प्रस्ताव' नहीं होने से कठिनाई...मुख्य सचिव ने लिखा पत्र

नीतीश सरकार को निर्णय लेने में परेशानी! फाइल में साफ-साफ 'प्रस्ताव' नहीं होने से कठिनाई...मुख्य सचिव ने लिखा पत्र

PATNA: बिहार सरकार को निर्णय लेने में कठिनाई हो रही है। फाइल पर विभागों के सचिव का साफ-साफ मंतव्य या प्रस्ताव के स्पष्ट नहीं होने की वजह से यह परेशानी उत्पन्न हो रही है। इसी परेशानी के मद्देनजर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव,प्रधान सचिव व सचिवों को पत्र लिखा है। मुख्य सचिव ने सभी को निदेश दिया है कि मुख्यमंत्री या मुख्य सचिव के पास निर्णय लेने के लिए फाइल भेजें तो स्पष्ट प्रस्ताव दें। फाइल में ऐसा नहीं रहने से निर्णय लेने में कठिनाई होती है। 

2012 के बाद फिर से सभी विभाग को पत्र

बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने 28 जुलाई को पत्र लिखकर 30 अक्टूबर 2012 के उस आदेश की याद दिलाई है। कहा गया है कि 20212 में तत्कालीन मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा ने भी संचिका भेजते समय स्पष्ट और आत्मभारित टिप्पणी देने को कहा था। मुख्य सचिव ने कहा है कि इसके पहले सभी विभागों के प्रधान को सूचित किया गया था. कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमें मुख्य सचिव या उनके माध्यम से मुख्यमंत्री को संचिकायें भेजी जाती हैं. इस संबंध में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसमें विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव या सचिव के स्तर से फाइल पर केवल पृष्ठांकन किया जाता है,या फिर बहुत छोटी टिप्पणी दी जाती है. इस वजह से विषय(MATTER) स्पष्ट नहीं हो पाता. नतीजा यह होता है कि निर्णय लेने में कठिनाई होती है.

फाइल भेजें को स्पष्ट प्रस्ताव दें-CS

बिहार के मुख्य सचिव ने एक बार फिर से सभी विभागों के प्रधान को निर्देश दिया है. कहा गया है कि मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री के आदेश को लेकर भेजी जाने वाली फाइल में विभाग के प्रभारी अपने स्तर से आत्माभारित (soul loaded) टंकित टिप्पणी लिखें. साथ ही जिस प्रस्ताव काअनुमोदन के लिए फाइल भेज रहे हों उस प्रस्ताव का स्पष्ट उल्लेख करें.



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