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शराबबंदी का सच : हर दिन औसत 6600 छापेमारी, 400 गिरफ्तारी फिर भी माफिया हैं बेखौफ, अब नीतीश सरकार सिखा रही है गोली चलाना

शराबबंदी का सच : हर दिन औसत 6600 छापेमारी, 400 गिरफ्तारी फिर भी माफिया हैं बेखौफ, अब नीतीश सरकार सिखा रही है गोली चलाना

पटना. बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी है. इसके बावजूद इन वर्षों में शायद ही ऐसा कोई दिन गया हो जब बिहार के किसी न किसी कोने में शराब जब्ती नहीं हुई हो. यहां तक कि राज्य की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत सरकार कई प्रकार की सख्ती दिखाने और जागरूकता के बाद भी न तो शराब की तस्करी रोक पाई है और ना ही शराब पीने वाले बाज आ रहे हैं. स्थिति है कि बिहार के हर दिन औसत 400 से ज्यादा लोगों की शराब से जुड़े मामलों में गिरफ्तारी होती है. इतना ही नहीं हर दिन पुलिस और उत्पाद विभाग की ओर से करीब 6600 छापेमारी होती है. इसके बाद भी शराब के लाल पानी का काला काराबोर बदस्तूर जारी है. 

शराबबंदी से जुड़े मामलों को लेकर बिहार सरकार की ओर से दावा किया गया है कि हर महीने तकरीबन दो लाख के आसपास छापेमारी होती है. यानी औसत हर दिन राज्य में 6600 से ज्यादा छापेमारी होती है. वहीं शराब से जुड़े मामलों में पिछले एक साल में 1 लाख 58 हजार लोगों को जेल भेजा गया है. यह 1 अप्रैल 2022 से मई महीने तक का आंकड़ा है. इनती जबरदस्त सख्ती के बाद भी बिहार में शराब से जुड़े मामलों में कमी आई हो ऐसा नहीं लगता. क्योंकि इन्हीं आकड़ों को देखकर पता चलता है कि शराब तस्कर और शराब पीने वालों में कानून का पालन करने को लेकर कोई खास रूचि नहीं है. 

इतना ही नहीं बिहार में शराब तस्करों पर नकेल कसने के लिए होने वाली छापेमारी के दौरान कई बार मद्यनिषेध विभाग के कर्मियों की पिटाई होने का मामला सामने आता है. कुछ मामलों में पुलिस से ही शराब तस्कर उलझ जाते हैं. ऐसे में अब बिहार सरकार ने तय किया है कि  उत्पाद विभाग के कर्मचारियों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाएगी. शराब माफिया के आंतक से कर्मचारियों को बचाने के लिए बिहार सरकार मद्य निषेध के दरोगा, एएसआई और अन्य पदाधिकारी को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दे रही है. 2 जून से डेहरी ऑनसोन के बीएमपी-2 में हथियार चलाने की ट्रेनिंग शुरू हुई है जो 10 जून तक चलेगी. इसमें हर कर्मचारी को निशाने पर दागने के लिए 25 गोलियां दी जाएंगी. साढ़े तीन सौ से अधिक कर्मी ट्रेनिंग का हिस्सा बनेंगे.

सीएम नीतीश की महत्वाकांक्षी शराबबंदी योजना को सफल बनाने के लिए अब तस्करों पर अपनी सुरक्षा में गोली चलाने का अधिकार भी मद्य निषेध विभाग के कर्मचारियों को मिल जाएगा. लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है कि इन तमाम कवायदों के बाद भी राज्य में शराबबंदी की पूर्ण सफलता कब होगी. एक ओर एक साल में 1.58 लाख लोगों की गिरफ्तारी होती है तो दूसरी ओर शराब माफिया इस कदर बेखौफ हैं कि वे मद्य निषेध विभाग के कर्मियों पर हमला करने से बाज नहीं आते हैं. 


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