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'प्रताप' दिखाने की कोशिश...! सत्ताधारी जमात में 'योद्धा' के नाम पर 'महाराणा' बनने की मंशा, समाज के 2 नेताओं को पीछे छोड़ने की प्लानिंग

 'प्रताप' दिखाने की कोशिश...! सत्ताधारी जमात में 'योद्धा' के नाम पर 'महाराणा' बनने की मंशा, समाज के 2 नेताओं को पीछे छोड़ने की प्लानिंग

PATNA: बिहार की राजनीति जाति के इर्द-गिर्द घुमती है। जाति की बात कर नेता खुद को आगे बढ़ाने की जुगत में रहते हैं. जाति को हथियार बनाकर ही लोग अपना हित साधते हैं. महापुरूषों के नाम पर जाति की जबरदस्त राजनीति होती है. महापुरूषों को जाति की थाती बताकर नेता अपनी राजनीतिक रोटी सेंकते हैं. इन दिनों सत्ताधारी जमात में वही देखने को मिल रहा है। जमात के एक नेता 'योद्धा' के नाम पर अपनी जाति के सबसे बड़े प्रतापी बनने की फिराक में हैं. प्रतापी बनने की मंशा पाले सत्ताधारी जमात के नेता ने समाज के अन्य बड़े नेताओं को पीछे छोड़ने की पूरी तैयारी कर ली है. हालांकि स्वाभिमान  के नाम पर खुद को स्थापित करने वाले नेता ने समाज के अन्य बड़े नेताओं को अंदर ही अंदर नाराज कर लिया है. 

सत्ताधारी जमात में खुद को स्थापित करने की जुगत  

वर्तमान में सत्ताधारी जमात में समाज का महाराणा कौन ?  इसको लेकर जबरदस्त प्रतिस्पर्द्धा है. वैसे तो सत्ताधारी जमात में कई प्रतापी हैं. लेकिन इन दिनों एक नेता में समाज के सबसे बड़े प्रतापी बनने की गजब की लालसा जगी है. सबसे आगे निकलने को लेकर वे राज्य भर में दौरा कर रहे हैं. जगह-जगह जाकर वे समाज के लोगों से राज्य मुख्यालय में आने का आह्वान कर रहे हैं. राजधानी में समाज का बड़ा कार्यक्रम किया जा रहा है.कार्यक्रम के अगुआ वे खुद हैं. वैसे सत्ताधारी जमात में इस समाज के कई अन्य बड़े नेता हैं. लेकिन इनमें से एक नेता स्वाभिमान के मुद्दे पर समाज में अपनी मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे. हालांकि प्रतापी बनना इतना आसान नहीं. क्यों कि...प्रतापी बनने के लिए हवा में नहीं बल्कि जमीन पर पकड़ बनाना उतनी ही जरूरी है. समाज में कई अन्य बड़े नेता हैं जो जमीन से जुड़े हैं और जिनकी अपनी अलग पहचान है. वे लड़कर जीतते आये हैं. वे सेलेक्टेड नहीं बल्कि इलेक्टेड होना पसंद करते हैं. 

बता दें, सत्ताधारी जमात में उस जाति में आज भी कई बड़े नेता हैं. एक तो सरकार में भी हैं. उनका समाज में मजबूत पकड़ बताई जाती है. दूसरे नेता भी कुछ साल पहले तक सरकार में थे. उनका भी समाज और क्षेत्र पर मजबूत पकड़ मानी जाती थी. हालांकि पिछले चुनाव में सहयोगी दल के चक्रव्यूह में फंसकर हार का मुंह देखना पड़ा था. तीसरे नेता हैं जो इ दोनों को पछाड़ कर आगे निकलने की जुगत में हैं. आगे निकलने के लिए सबसे सुगम रास्ता का चयन किया है। अब देखना होगा कि नेताजी समाज के अन्य योद्धाओं को परास्त कर प्रतापी बन पाते हैं या नहीं ....।   

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