राजनीति का अंडरवर्ल्ड: बिहार के सियासी दलों की पहली पसंद बाहुबली... राजद हो या कांग्रेस, या फिर एनडीए सबने खोले द्वार, कुख्यातों की लगी कतार

राजनीति का अंडरवर्ल्ड: बिहार के सियासी दलों की पहली पसंद बाह

पटना. लोकसभा चुनाव की घोषणा होते ही अपने अपने खेमे को मजबूत करने के लिए सियासी दल कई नए चेहरों को साथ लाने में लग गए हैं. खासकर बिहार के बाहुबलियों और अपराधियों के लिए राजनीतिक दलों के दरवाजे खुलने शुरू हो गए हैं. एक के बाद एक कई दबंग, बाहुबली और जेल में दशक से ज्यादा समय बिता चुके नेता और उनके परिवारजन अब बिहार सियासी दलों को सबसे ज्यादा पसंद आ रहे हैं. इसमें ना तो एनडीए पीछे है और ना ही महागठबंधन. देखा जाए तो सियासी दलों की पहली पसंद बाहुबली ही बने हुए हैं. यानी जिस बाहुबल की राजनीति के लिए बिहार बदनाम है उसमें हर राजनीतिक दल बाहुबलियों के स्वागत में पलक पाँवरे बिछाए है. जदयू हो या राजद या फिर कांग्रेस सभी में बाहुबलियों के आने का सिलसिला गतिमान है. 

पप्पू यादव का अपराधिक इतिहास : बिहार में अपनी जड़ों को मजबूत करने में लगी कांग्रेस में बुधवार को पप्पू यादव शामिल हो गए. अपनी पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय करते हुए पप्पू यादव ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. अब वे पूर्णिया से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. लेकिन पप्पू यादव के इतिहास को देखें तो वे 17 साल जेल में रहे हैं. विधायक की हत्या का आरोप लगा. कई अन्य प्रकार के मामलों में नामजद रहे. यहां तक कि सन 1980 और 1990 के दशक में सीमांचल के इलाकों में पप्पू यादव के नाम का आतंक बना रहा. यहां तक कि पप्पू यादव और आनंद मोहन के बीच की अदावत आज भी याद की जाती है. अब वही पप्पू यादव नया इतिहास रचने के लिए कांग्रेस में आ गए हैं. 

पप्पू यादव का जन्म मधेपुरा जिले में 1967 में हुआ था. 1990 में निर्दलीय विधायक चुनकर आए थे. बाद में 5 बार सांसद भी बने. 17 साल जेल में बिताने वाले पप्पू यादव की पहचान बाहुबली नेता के रूप में हुई. उन पर हत्या, किडनैपिंग, मारपीट, बूथ कैपचरिंग, आर्म्स एक्ट जैसे कई मामले अलग-अलग थानों में दर्ज हुए हैं लेकिन पप्पू यादव को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अजीत सरकार की हत्या के मामले में 17 साल जेल में रहना पड़ा था.

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माकपा नेता और विधायक अजीत सरकार और उनके एक साथी असफुल्ला खान तथा ड्राइवर की गोलीमार कर  हत्या वर्ष 1998 में हुई थी. उस वक्त पप्पू यादव पूर्णिया लोकसभा सीट से सांसद हुआ करते थे. हत्या का आरोप  पप्पू यादव पर लगा. वे जेल चले गए. इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में केस चल चलता रहा. लंबे समय तक वे जेल में रहे. उम्र कैद की सजा भी उन्हें मिली थी. 2008 में उन पर हत्या का आरोप साबित हो गया. पप्पू यादव ने फैसले के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में अपील की थी. इसके बाद 2013 में जाकर कोर्ट से उन्हें राहत मिली. सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था. जेल से लौटने के बाद पप्पू यादव अपनी छवि बनाने में लग गए. उनकी पत्नी रंजित रंजन कांग्रेस की सांसद हैं और अब खुद भी पप्पू ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है. 

जदयू में आनंद मोहन : जेल में 16 साल बिताने वाले आनंद मोहन अब जदयू के दुलारे हो गए हैं. पिछले दिनों ही आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद ने जदयू का दामन थाम लिया. वे इस बार शिवहर से लोकसभा चुनाव जदयू के टिकट पर लड़ सकती हैं. 1990 के दशक में अगड़े-पिछड़े की लड़ाई के लिए बदनाम हुए बिहार में आनंद मोहन के नाम पर कई प्रकार के अपराधिक मामले दर्ज हुए. यहां तक कि सीमांचल के इलाके में पप्पू यादव से हुई लड़ाई की चर्चा आज भी हर जुबान पर मौजूद है. लेकिन वर्ष 1994 में शुक्ला मर्डर के बाद गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या में आनंद मोहन का नाम आया. उन्हें फांसी की सजा मिली. बाद में आजीवन कारावास की सजा मिली और पिछले वर्ष ही उन्हें बिहार की नीतीश सरकार द्वारा किए कानून में बदलाव के बाद जेल से रिहा किया गया. आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद दोनों ही सांसद बने. एक बेटा चेतन आनंद विधायक बने. अब एक बार फिर से आनंद मोहन की पत्नी ने जदयू का दामन थाम लिया है. यानी जदयू को भी बाहुबली की पत्नी पसंद आई. 

राजद को भी बाहुबली पसंद : 17 साल जेल की सजा काटकर बाहर आए कुख्यात अशोक महतो इस बार के लोकसभा चुनाव में मुंगेर में अपनी नवविवाहिता पत्नी कुमारी अनीता को मैदान में उतार सकते हैं. 55 वर्षीय अशोक महतो ने मंगलवार रात अचानक से एक 46 वर्षीय महिला कुमारी अनीता से विवाह कर इसके संकेत भी दे दिए. बिहार में कभी अशोक महतो गिरोह काफी सक्रिय था. अशोक महतो ने सन 1990 के दशक और वर्ष 2000 के दशक के शुरुआती दौर में नालंदा, नवादा और शेखपुरा जिले में 100 से अधिक गांवों को प्रभावित किया था. खासकर जातीय नरसंहार के लिए अशोक महतो बदनाम हुए थे. अशोक महतो नवादा जिले के वारसलीगंज थाना क्षेत्र के कोननपुर गांव के रहने वाले हैं.  2002 में वह नवादा जेल से भाग गया था। जेल से भागने के दौरान उसके सहयोगी पिंटू महतो ने तीन पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी. उनको नवादा जेल ब्रेक कांड और शेखपुरा के जेडीयू विधायक रणधीर कुमार सोनी पर जानलेवा हमला का आरोप था. वहीं, 2005 में सांसद राजो सिंह की हत्या के लिए भी महतो गैंग को ही जिम्मेदार ठहराया गया था. अशोक पिछले साल ही 17 वर्षों की सजा काटकर जेल से बाहर आए थे. अब अशोक महतो के राजद में आने की खबर है. उन्होंने बुधवार को लालू यादव से मुलाकात की. कहा जा रहा है कि उनकी नवविवाहिता पत्नी अनीता इस बार मुंगेर से ललन सिंह के खिलाफ मैदान में ताल थोकेगी. यानी राजद को भी बाहुबली पसंद है.