बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

बिहार में बेरोजगारी का आलम : CTET पास युवक ने चलाना शुरू किया ई-रिक्शा, कहा अब इसी से होता है परिवार का गुजारा

बिहार में बेरोजगारी का आलम : CTET पास युवक ने चलाना शुरू किया ई-रिक्शा, कहा अब इसी से होता है परिवार का गुजारा

BEGUSARAI : डिग्री बड़े काम की चीज होती है। नौकरी मिली तो बल्ले बल्ले और अगर ना मिली तो डिग्री के नाम पर स्वरोजगार कर खास मुकाम हासिल किया जा सकता है। ऐसे भी देश मे इन दिनों स्वरोजगार के मोदी मंत्र का खासा असर युवाओ में देखने को मिल रहा है जो अक्सर मीडिया की सुर्खियों में बना रहता है। बेगूसराय में पढ़ लिखकर नौकरी नही मिलने पर स्वरोजगार को अपनाने वाले एक ऐसा ही युवक लोगो के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। मोहम्मद जहांगीर नामक यह युवा CTET पास है। वह अपनी डिग्री को तगमे के रूप में लटका कर ई रिक्शा चलाने का काम कर रहा है। CTET पास रिक्शा वाला के नाम से मशहूर मोहम्मद जहांगीर न सिर्फ अच्छी आमदनी कर रहे है। बल्कि जितनी पॉपुलरिटी उनको शिक्षक की नौकरी कर प्राप्त नही होती।  उतनी पॉपुलिटी आज उनको अपने इलाके में मिल रही है। जहांगीर का रिक्शा जहाँ से भी गुजरता है लोग उसे सम्मान देते हैं। लोग उसके रिक्शा पर बैठ कर गौरवान्वित महसूस करते है।

भगवानपुर थाना क्षेत्र के चन्दौर गावँ निवासी मोहम्मद शमसुल के पुत्र मोहम्मद जहांगीर इलाके में आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। CTET डिग्री धारी जहांगीर पिछले 2 महीनों से ई रिक्शा चला कर अपना और अपने परिवार का पेट पालन करते हैं। शुरू शुरू में यह काम उनके लिए बेहद ही हास्यास्पद था। लेकिन वक्त के साथ साथ सब कुछ सामान्य हो गया। इस संबंध में जहांगीर बताते हैं कि उन्होंने बड़ी मेहनत से अपनी पढ़ाई पूरी की और CTET के एग्जाम में पास भी हुए। उन्हें लगा कि अब वह वक्त दूर नहीं है।  जब वह भी शिक्षक बनकर सब समाज का एक हिस्सा बनेंगे। बच्चों को पढ़ा कर अपने दायित्व का निर्वाह करेंगे। लेकिन हो गया इसके ठीक उल्टा। नौकरी नहीं मिलने से नाराज जहांगीर ने लोन पर एक रिक्शा लिया और उसने अपने रिक्शे पर सीटेट रिक्शा वाला लिखकर भगवानपुर के इलाके में ई रिक्शा चलाने का काम शुरू किया। इस दौरान जहांगीर को पढ़े लिखे लोग कटाक्ष भी करते थे। लोग कहते थे कि इतने पढ़ लिख कर रिक्शा चलाते हो। जहांगीर इसे कहते हैं कि वक्त का मारा था और सिस्टम का हारा था। बाद में जहांगीर की यह भी चर्चा हो गई और बाद में लोग उसे सम्मान भी देने लगे। फिलहाल जहांगीर बताते हैं कि वह प्रतिदिन 400 से ₹500 आराम से कमा लेता है जिससे उसका घर परिवार अच्छे से चल रहा है। 

जहांगीर को जानने वाले लोग बताते हैं कि जहाँगीर बचपन से ही पढ़ने लिखने में मेधावी था। यही वजह था कि उसने सीटीईटी का एग्जाम भी निकाला। लेकिन सिस्टम के मारे जहांगीर को नौकरी नहीं मिल पाई तो उसने ई रिक्शा चलाना शुरु कर दिया। फिलहाल जहांगीर अब ई रिक्शा चला कर खुश है और स्वरोजगार को ही अपना मुक़द्दर मानकर जीवन की गाड़ी को आगे खींच रहा है।

बेगूसराय से कृष्ण बल्लभ नारायण की रिपोर्ट

Suggested News