PATNA : चेतना समिति की ओर से आयोजित तीन दिवसीय 66वें विद्यापति पर्व में अंतिम दिन मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार राज्यमंत्री अश्विनी चौबे शामिल हुए. इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैथिली और विद्यापति के बिना भारतीय संस्कृति अधूरा है. उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य की शुरुआत महाकवि विद्यापति के समय से ही मानी जाती है. धर्म और आध्यात्मिक क्षेत्र में महाकवि विद्यापति के योगदान का वर्णन नहीं किया जा सकता. जहां भगवान शंकर स्वयं उगना के रूप में विद्यापति के साथ चल रहे थे. गंगा के प्रति विद्यापति की भक्ति का भी वर्णन कोई और नहीं कर सकता. यह अवर्णनीय है. उन्होंने कहा कि मैं चेतना समिति को इस बात के लिए बधाई देता हूं उन्होंने हमारे महान संस्कृति और सभ्यता को जीवित रखते हुए महाकवि विद्यापति को लगातार याद करते हुए उनके व्यक्तित्व को जनमानस के सामने का रखने का निरंतर प्रयास करते रहा है.
अश्विनी चौबे ने कहा कि मिथिला, मैथिली और विद्यापति के प्रति मेरा विशेष लगा रहा है. जिस तरीके से अटल बिहारी वाजपेई ने अपने प्रधानमंत्री काल में मैथिली को अष्टम अनुसूची में जोड़ने का काम किया. उसी तरह हम आशान्वित हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में बिहार का दूसरा एम्स मिथिला को ही मिलेगा. जिसके लिए हमलोग प्रयत्नशील है.
इस कार्यक्रम में सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद, बिहार विधान परिषद के सभापति हारून रशीद, आपदा प्रबंधन मंत्री लक्ष्मेश्वर राय, पीएचईडी मंत्री विनोद नारायण झा सहित अनेक गणमान्य अतिथि और चेतना समिति के पदाधिकारी गण उपस्थित रहे. चौबे ने इस दौरान यहां आनंद मेला में भ्रमण किया और स्थानीय लोक व्यंजनों का लुत्फ उठाया. इस दौरान भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लेकर विद्यापति से संबंधित अतिथियों के उद्बोधन से और आनंद मेला में भरपूर आनंद उठाया.
पटना से विवेकानंद की रिपोर्ट