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मुंगेर में दिवाली पर अनोखा आयोजन, भैंस और सुअर की लड़ाई का खेल, जानिए क्यों निभाई जाती है यह परंपरा

मुंगेर में दिवाली पर अनोखा आयोजन, भैंस और सुअर की लड़ाई का खेल, जानिए क्यों निभाई जाती है यह परंपरा

मुंगेर- किसी विशेष पर्व पर पशुओं की लड़ाई आपने बहुत देखी होगी. पर क्या आपने सुना है भेस और सूअर की लड़ाई. बिहार के मुंगेर में सूअर और भैंस की लड़ाई का आयोजन कई वर्षों से होता आ रहा है. जिसे देखने के लिए लोगो की भीड़ उमड़ती है. गोवर्धन पूजा के मौके पर भैंस और सुअर की लड़ाई खुले मैदान में होती है. 

 दरअसल मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलो मीटर दूर तारापुर प्रखंड क्षेत्र के बेलबिहमा गांव में गाय और भैंस की प्रदर्शनी और सूअर के बीच युद्ध कराने का परंपरा है. इसका आयोजन गोवर्धन पूजा के अवसर पर किया जाता है. बता दें कि इस गांव के यदुवंशी समाज के लोग इस प्रदर्शनी का आयोजन करते हैं. गांव के बाहर खेल मैदान में पशु प्रदर्शनी तो होती ही है और इस के साथ ही सूअर और भैंस के बीच युद्ध का आयोजन भी होता है. यहां सभी लोग अपने घर से पशुओं को  लेकर एक मैदान पर इकट्ठा करते हैं. उसके बाद विधिवत पूजा-पाठ कर इस पशु युद्ध का आरंभ किया जाता है.

 गांव के लोगों ने बताया कि हमारे गांव में प्राचीनकाल से ही यह युद्ध की परंपरा चली आ रही है. हमारे पूर्वजों के मुताबिक बहुत पहले एक बाबा थे, जिन्होंने यहां के गायों को भगवान गर्भू बाबा और भैंस को भगवान लाल बाबा की मान्यता दी थी. उसी वक्त से इस युद्ध का आयोजन चला आ रहा है. उन्होंने बताया कि इस बार के युद्ध में सुअर की जीत हुई. जिसके बाद रविदास जाति के लोगों को सूअर दान कर दिया गया. उसके बाद गाय और भैसों से उस दिन के निकाले गए दूध से खीर बनाकर भगवान और बाबा को चढ़ाया जाता है और उसके बाद पूरे गांव में इस प्रसाद का वितरण किया जाता है.

 इस गांव की सबसे बड़ी खास बात यह है कि जो बूढ़े पुराने लोगों ने इस परंपरा को चालू किया और निभाया, उसे आज के दौर की युवा पीढ़ी भी बड़े उत्साहपूर्वक निभा रही है. यहां गांव भर के सभी युवाओं की भागीदारी खूब देखने को मिलती है.


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