LOCKNOW : यूपी में पिछले साल हुए चर्चित गैंगस्टर विकास दूबे एनकाउंटर केस में सुप्रीम कोर्ट की गठित टीम ने अपनी जांच पूरा कर ली है। टीम ने अपनी रिपोर्ट में एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस को क्लीन चिट दे दी है। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। इससे पहले एनकाउंटर को फर्जी बताए जाने के आरोपों के सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक जांच कमेटी गठित की थी।
8 महीने तक चली जांच
विकास दूबे के पिछले साल जुलाई में उज्जैन से कानपुर आने के दौरान पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश करने पर एनकाउंटर कर दिया गया था। जिसके बाद परिवार वालों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मामले की जांच के लिए रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान के नेतृत्व में जांच टीम गठित की थी। इस टीम ने लगभग आठ महीने तक एनकाउंटर से जुड़े पूरे मामले की जांच की। अब इस टीम ने अपना क्लोजर रिपोर्ट सरकार को सौंप दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक जांच टीम को को गैंगस्टर विकास दुबे और उसके पांच साथियों के एनकाउंटर में उत्तर प्रदेश पुलिस के गलत कार्यशैली का कोई सबूत नहीं मिला है. यूपी पुलिस के बयान खिलाफ कोई भी चश्मदीद गवाह सामने नहीं आया है, जो ये कहे कि पुलिस गलत कह रही थी
76 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हो रही थी जांच, 6 आईपीएस भी शामिल
विकास दूबे एनकाउंटर केस में 76 पुलिसकर्मियों की शिकायत गृहमंत्रालय से की गई थी, इसमें 6 आईपीएस अधिकारियों के नाम भी शामिल थे. केस के वकील सौरभ सिंह भदोरिया के मुताबिक, गैंगस्टर विकास दुबे एनकाउंटर मामले में करीब शिकायत में ये भी कहा गया था कि इन्हीं अधिकारियों ने कई बार विकास दुबे और उसके साथी जयकांत वाजपेयी की मदद की थी। लेकिन इसका कोई सबूत आयोग को नहीं मिला
ये है पूरा मामला
यूपी में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या का आरोपी विकास दुबे का जुलाई 2020 में एनकाउंटर किया गया था. मध्यप्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार कर पुलिस उसे कानपुर लेकर जा रही थी. कानपुर पहुंचने से दो किमी पहले ही यूपी एसटीएफ की गाड़ी पलट गई थी, जिसका फायदा उठाकर विकास दुबे ने वहां से भागने की कोशिश की, पुलिस ने जवाबी कार्रवाई करते हुए विकास दुबे पर गोली चला दी थी, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।