दिल्ली- लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपनी सियासी रणनीति बनानी शुरू कर दी है. कांग्रेस ने अजय राय को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.उत्तरप्रदेश प्रदेशाध्यक्ष का पद संभालने के बाद से ही अजय राय पार्टी कांग्रेस के वोट बैंक को मजबूत करने में जी जान से लग गए हैं. राय ने पूर्वांचल के प्रमुख ब्राह्मण चेहरे ललितेश पति त्रिपाठी को कांग्रेस में शामिल कराया .ऐसे में सवाल उठ रहे हैं क्या कांग्रेस वरुण गांधी के नाम पर विचार कर सकती है या नहीं? पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी अक्सर अपने बगावती तेवरों को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. जिसके बाद माना जा रहा है कि चुनाव से पहले वो भाजपा को छोड़ सकते हैं.
आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा विपक्ष को हमलावर होने का एक भी मौका नहीं देना चाहती है. लेकिन उसके ही सांसद विपक्षी दलों को हमला करने का भरपूर मौका दे रहे हैं. इनमें पीलीभीत के सासंद वरुण गांधी का नाम शामिल है. वरुण गांधी अपने बयानों से पार्टी और सरकार की मुश्किलें बढ़ाते रहे हैं.
दरअसल पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी अक्सर अपनी बगावती तेवरो को लेकर सुर्खियों में रहते हैं, वह अक्सर पार्टी लाइन से हट कर बयान देते हैं, भाजपा पर हमला बोलने का कोई मौका नहीं छोड़ते. पिछले कुछ दिनों से वह फिर भाजपा के खिलाफ मुखर होकर बोल रहे हैं, वह काफी दिनो से भाजपा के बड़े नेताओं के साथ मंच पर नजर नहीं आये हैं इस बात को लेकर भी चर्चा चल रही है कि इस बार वरुण गांधी का टिकट कर सकता है. वरुण इसलिए भी सुर्खियों में बने रहते हैं क्योंकि वह भाजपा के खिलाफ ही मोर्चा खोलते हैं लेकिन भाजपा भी उनकी इन बातों को गंभीरता से नहीं लेती है जाने को तो सपा, कांग्रेस में जा सकते हैं लेकिन उनको वहां क्या जिम्मेदारी मिलती है यह भी एक बड़ा सवाल है. भाजपा ने सिर्फ कांग्रेस के परिवार को तोड़ने के लिए पार्टी में शामिल कराया था अब कांग्रेस का जनाधार नहीं दिख रहा है. ऐसे में वह अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उनको कार्यकारिणी सदस्यों में भी शामिल नहीं किया गया है ऐसे में 2024 में टिकट कटने का भी डर सता रहा है.
वहीं वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल करने के सवाल पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि यह मां और बेटे के बीच का मामला है मुझे लगता है कि भाजपा में रहकर वरुण गांधी अपने स्तर को कमजोर कर रहे हैं अब तक जो स्थितियां रही है वह सांसद रहे हैं और साथ में कम कर रहे हैं उन्हें निश्चित रूप से विचार करना चाहिए कि उन्हें क्या करना है. वहीं कांग्रेस में शामिल करने के सवाल पर अजय रहने कहा कि "इस मामले पर फैसला पार्टी का नेतृत्व करेगा पार्टी का जो फैसला होगा उसे हमसे स्वीकार करेंगे.
वरुण गांधी के बीते कुछ दिनों से कांग्रेस समेत कई पार्टियों में जाने की अटकलें चल रही हैं. इसी बीच वरुण गांधी की मां और भाजपा सांसद मेनका गांधी ने उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री महंथ आदित्यनाथ से मुलाकात की थी. इस दौरान मेनका गांधी के साथ सुल्तानपुर के सभी विधायक भी मौजूद रहे. इन लोगों के बीच ये मुलाकात मुख्यमंत्री योगी के आवास कालीदास मार्ग पर हुई.
वरुण गांधी भी गांधी परिवार से आते हैं. उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ आवाज उठाई. वह लिखने पढ़ने और रिसर्चर माने जाते थे. उनकी छवि एक अच्छे वक्ता के रूप में है. दोनो अपने इतिहास की वजह से भाजपा में तो हैं, लेकिन किसी भी बड़े नेता का विश्वास नहीं जीत पाए. वरुण गांधी मेनका गांधी की छवि से बाहर नहीं निकल पाए. यह दोनों ऐसा मानते थे उन्हें उनकी छवि के कारण उन्हें भाजपा में कोई बड़ी भूमिका मिलेगी, तब वह अपनी कार्यक्षमता को सिद्ध करेंगे. अब इन लोगों में असंतोष आने लगा है. ऐसा लगता है कि आने वाले समय में भी यह लोग हाशिए में रहेंगे. भाजपा इनको कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं देगी.
यह पहली बार नहीं है कि जब कांग्रेस में वरुण गांधी के शामिल होने की खबर आयी है, इससे पहले 2022 में भी ऐसी खबरें आई थी कि प्रियंका गांधी के संपर्क में वरुण गांधी है और वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं लेकिन बाद में राहुल गांधी के बयान इस पर विराम लग गया था. राहुल ने कहा था कि "वरुण ने आरएसएस की विचारधारा को अपनाया है, मैं उनसे मिल सकता हूं गले लग सकता हूं लेकिन उनकी विचारधारा को नहीं अपना सकता। मैं आरएसएस के दफ्तर में नहीं जा सकता फिर चाहे मेरा गला काट दिया जाए और उन्होने इस विचारधारा को अपनाया है उनकी और मेरी विचारधारा अलग है.
लोकसभा चुनाव 2024 की रणभेरी कुछ महीने में बज जाएगी,ऐसे में देखना होगा कि वरुण मेनका कौन सी रणनीति अपनाते हैं.