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12 किलोमीटर के रास्ते में ग्रामीणों ने बना दिए 38 अवैध ब्रेकर, कोर्ट ने ग्रामीण विकास के साथ बिजली विभाग से भी मांगा जवाब

12 किलोमीटर के रास्ते में ग्रामीणों ने बना दिए 38 अवैध ब्रेकर, कोर्ट ने ग्रामीण विकास के साथ बिजली विभाग से भी मांगा जवाब

AURANGABAD : बिहार की सड़कों स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए विभाग से परमिशन की आवश्यकता नहीं होती है। यहां सिर्फ एक बिजली पोल की जरुरत है, जिसे सड़क पर रख दिया और स्पीड ब्रेकर तैयार। इस बात की कोई परवाह नहीं होती है कि इससे वाहन चालकों को किस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है। औरंगाबाद के उपभोक्ता अदालत में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जहां दर्ज किए याचिका में बने अवैध स्पीड ब्रेकर को लेकर याचिका दायर किया गया है। जिसमें जिले के ग्रामीण विकास विभाग के साथ बिजली विभाग के अधिकारियों को पार्टी बनाया है। मामले को कोर्ट ने भी बेहद गंभीरता से लिया और न्यायालय ने संबंधित विभागों के कुल सात अधिकारियों को नोटिस जारी कर तलब कर दिया। 

दरअसल यह मामला औरंगाबाद के  राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-139 से ओबरा थाना क्षेत्र में अतरौली के पास से निकली कारा-डिहरा ग्रामीण पथ से जुड़ा है। कुल 12 किमी. लंबा यह सड़क ग्रामीण कार्य विभाग की है, जो विभाग के प्रमंडल संख्या-2 दाउदनगर के अधीन आता है। इसी सड़क पर कुल 38 स्पीड ब्रेकर है, जो पूरी तरह अवैध है। अवैध होने की वजह यह है कि  इन्हें बिजली विभाग के पोल को सड़क पर रखकर बनाया गया है। स्पीड ब्रेकर्स को किसने और क्यो बनाया है, यह सर्वविदित है। इन स्पीड ब्रेकर्स के कारण इस सड़क पर वाहन चलाने वालों को निःसंदेह भारी परेशानी झेलनी पड़ती है और हादसे भी झेलने पड़ते है।  

 बिजली पोल से बने हैं सभी स्पीड ब्रेकर

औरंगाबाद व्यवहार न्यायालय के अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग में यह मामला बतौर सूचक वरीय अधिवक्ता रंगबहादुर सिंह ने दायर किया है। उपभोक्ता अदालत में दायर वाद में उन्होंने तर्क दिया है कि वाहनों के मालिक सड़क का इस्तेमाल करने के लिए परिवहन विभाग को रोड टैक्स दिया करते हैं। 

साथ ही जिस बिजली विभाग के पोल का इस्तेमाल स्पीड ब्रेकर बनाने में किया गया है, उस विभाग को भी लोग बिल देते हैं। बिजली विभाग के पोल का स्पीड ब्रेकर बनाने के लिए इस्तेमाल गैर कानूनी है और मामले में संबंधित पर कार्रवाई करने के बजाय कोई पहल नही करना भी सेवा में त्रुटि है। इसी वजह से दोनों विभाग की त्रुटिपूर्ण सेवाओं को लेकर उनके द्वारा यह वाद उपभोक्ता होने के आधार पर जिला उपभोक्ता प्रतितोष आयोग, औरंगाबाद में लाया गया है। 

 वाद में उन्होंने कहा है कि एनएच-139 औरंगाबाद-पटना मुख्य मार्ग से कारा होते डिहरा तक जाने वाली 12 किलोमीटर लंबी सड़क ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा बनाई गई है। इस सड़क के निर्माण में घोर लापरवाही बरतते हुए 38 स्थान पर विद्युत विभाग के पोल को रखकर स्पीड ब्रेकर बना दिया गया है,  जिससे आवागमन करने वालों को जानमाल का भारी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। लोग सालाना कई तरह का राजस्व देते आ रहे हैं लेकिन मामले में विभागीय लापरवाही अमानवीय कृत्य है।  इस स्थिति में दोनों विभागों के साथ टैक्स या बिल देने वालों का संबंध उपभोक्ता और सेवा प्रदाता का है और सड़क पर अवैध स्पीड ब्रेकर का होना सेवा में त्रुटि का मामला बनता है। 

उपभोक्ता अदालत ने ग्रामीण कार्य विभाग के ईई समेत सात अधिकारियों को किया तलब

इस मामले को उपभोक्ता अदालत के सदस्य बद्रीनारायण सिंह ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने मामले को लेकर दायर वाद संख्या-57/24 की सुनवाई करते हुए सात विपक्षियों को नोटिस जारी किया है। साथ ही इसको लेकर गहरी नाराजगी भी जताई। उन्होंने मामले में आवेदक का पक्ष सुनने के बाद ग्रामीण कार्य विभाग, दाउदनगर के कार्यपालक अभियंता, दाउदनगर के अनुमंडल पदाधिकारी, ओबरा के अंचलाधिकारी, विद्युत विभाग के कार्यपालक अभियंता, सहायक विद्युत अभियंता और ओबरा-दाउदनगर के कनीय विद्युत अभियंता को नोटिस भेजकर अगली तिथि पर जवाब देने के लिए तलब किया है। 

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