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गुरू-पुष्य नक्षत्र में धन बरसेः दीपावली के पहले बना नक्षत्रों का खास संयोग, हर तरह की खरीदारी और निवेश देंगे अतिउत्तम फल

गुरू-पुष्य नक्षत्र में धन बरसेः दीपावली के पहले बना नक्षत्रों का खास संयोग, हर तरह की खरीदारी और निवेश देंगे अतिउत्तम फल

N4N DESK: देशभर में दिवाली की तैयारियां शुरू हो गई हैं। दीपावली, यानी कि दीपों का पर्व, जिसमें हर घर को रौशन किया जाता है। यह शुभ-लाभ, खुशी, संपन्नता और समृद्धि का त्योहार माना जाता है। दिवाली की रात जीवन में धन-सम्पदा, वैभव और ऐश्वर्य के लिए माता लक्ष्मी की पूजा-आराधना होती है। इसके अलावा यह वक्त निवेश सहित हर तरह की खरीदारी के लिए भी शुभ माना जाता है।

इस साल धनतेरस 02 नवंबर को और दिवाली 04 नवंबर को है। हालांकि उसके पहले खरीदारी करने का एक महाशुभ मुहूर्त 28 अक्टूबर, यानी की आज, बन रहा है। आज गुरु-पुष्य नक्षत्र का शुभ संयोग बन रहा है। दिवाली से पहले बना गुरु-पुष्य नक्षत्र कई तरह का संयोग खरीदारी के लिए शुभ है।

क्या है गुरू-पुष्य नक्षत्र ?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों में सर्वश्रेष्ठ और शुभ नक्षत्र होता है। इस नक्षत्र में किया गया कार्य बहुत ही शुभ फलदायक होता है। यह शनिदेव का नक्षत्र हैं। गुरु और पुष्य नक्षत्र का संयोग हर एक कार्य को करने के लिए बहुत ही शुभ माना गया है। इससे पहले 5 नवंबर 1344 को ऐसा संयोग बना था। पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि हैं और शनि के नक्षत्र में किया काम लंबे समय तक चलता है। इस वर्ष 28 अक्टूबर को हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर गुरु-पुष्य का संयोग बन रहा है। पुष्य नक्षत्र 28 अक्टूबर की सुबह से लेकर रात तक रहेगा।

आज की खरीदारी देगी अतिउत्तम फल

पुष्य नक्षत्र में की गई खरीददारी ज्यादा फायदेमंद होगी, क्योंकि इस शुभ नक्षत्र के साथ चंद्रमा, बुध और शनि अपनी ही राशि में रहेंगे। साथ ही सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि और रवियोग होने से दिन और भी खास हो गया है। इन ग्रह-योगों में किए गए निवेश और खरीदारी कम खर्च में ज्यादा फायदा देने वाली होती है।

28 अक्टूबर से 4 नवंबर तक हर दिन सोना

28 अक्टूबर से लेकर 4 नवंबर तक ऐसे मुहूर्त बन रहे हैं, जिनमें प्रॉपर्टी, ज्वैलरी, गाड़ियों से लेकर इलेक्ट्रॉनिक सामान तक खरीदना शुभ होगा। वहीं 19 साल बाद धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग भी बन रहा है। इसके पहले 2002 में ऐसा हुआ था। ज्योतिषियों के मुताबिक इस योग में किए गए कामों से तीन गुना फायदा मिलता है।

अहोई अष्टमी पर्व की भी खास मान्यता

पंचांग के अनुसार 28 अक्टूबर को अहोई अष्टमी का पर्व मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार कार्तिक कृष्ण अष्टमी को मां पार्वती के अहोई स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत रखकर पूजा की जाती है। ये व्रत करवाचौथ के चार दिन बाद रखा जाता है। इस व्रत को आकाश में तारों को देखने के बाद खोला जाता है। इस व्रत को संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। इस व्रत को संतान प्राप्ति के लिए सर्वोत्तम मना गया है। इस दिन मां पार्वती, शिवजी, श्रीगणेश और कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाता है।

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