नारे हैं नारों का क्या....चिराग का नारा 'बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट', टिकट देने की बारी आई तो रिश्तेदार फर्स्ट ! बिहार की जनता कैसे करेगी भरोसा ?

PATNA: लोजपा (रामविलास) सुप्रीमो चिराग पासवान का नारा है, ''बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट''. इस नारे का निहितार्थ है बिहार और बिहारी को आगे बढाना. लेकिन बारी आई तो बिहारियों को आगे बढ़ाने की बजाय परिवार-रिश्तेदार को आगे बढ़ाने लगे. चिराग के हाजीपुर से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद जमुई लोकसभा सीट खाली हो गई. लिहाजा वहां दल के किसी दलित कार्यकर्ता-नेता को चुनावी मैदान में उतारने की बजाय अपने बहनोई को टिकट दे दिया. चिराग के जीजा अरुण भारती ने जमुई सीट से नामांकन भी कर लिया है. अब सवाल उठने लगे हैं कि चिराग पासवान का नारा ''बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट'' तो अच्छा है पर जब टिकट देने की बारी आती है तो परिवार-रिश्तेदार फर्स्ट हो जाता है ?
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के ठीक पहले लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान ने 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' का नारा लॉन्च किया था. तब कहा गया था कि 'बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट' यह दो शब्द हैं. इसमें बिहार फर्स्ट का मतलब बिहार को देशभर में नंबर वन राज्य बनाने का सपना . इसके अलावा बिहारी फर्स्ट का मतलब साफ है कि प्रदेश में जितने भी महत्वपूर्ण संस्थान हैं, शिक्षा से लेकर सभी जगहों पर केवल बिहारी ही हों. इस नारे को पढ़ने-सुनने में काफी अच्छा लगता है. चिराग पासवान अपने नारे में भले ही बिहारी को आगे बढ़ाने की बात करते हों लेकिन टिकट देना का जब भी मौका आया, परिवार-रिश्तेदार को ही चुना. अभी देख लीजिए....खुद जमुई लोकसभा सीट को छोड़ा, लेकिन खाली हुई सीट पर दल के दलित नेताओं को उम्मीदवार नहीं बनाया. चिराग पासवान की पार्टी में दलित नेताओं की कोई कमी नहीं है. प्रदेश महासचिव संजय पासवान हैं, सुभाष पासवान, परशुराम पासवान, एससी-एसटी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर कई अन्य नाम हैं. जमुई(सुरक्षित) लोकसभा सीट पर टिकट के दावेदारों में कई दलित नेताओं के नाम थे. लेकिन चिराग पासवान ने भरोसा किया तो अपने रिश्तेदार यानि जीजा अरूण भारती पर. ऐसे में बिहार की जनता ''बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट'' नारे पर कैसे भरोसा कर सकती है.
बता दें, एनडीए में सीट बंटवारे में चिराग पासवान को पांच सीटें मिली हैं. इनमें हाजीपुर, जमुई और समस्तीपुर सुरक्षित सीटें हैं. वहीं वैशाली और खगड़िया की सीटें भी खाते में आई हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में लोजपा को छह सीटें मिली थी. छह में तीन हाजीपुर, जमुई और समस्तीपुर सुरक्षित सीटें थी. तब रामविलास पासवान ने तीनो सुरक्षित सीटें अपने बेटे और दोनों भाइयों के बीच बांट दी थी. साल 2019 लोस चुनाव में हाजीपुर से पशुपति पारस, समस्तीपुर से रामचंद्र पासवान और जमुई से चिराग पासवान ने जीत दर्ज की थी. 2024 चुनाव में भी ये तीनों सीटें चिराग के पास हैं. इनमें हाजीपुर से स्वयं लड़ेंगे, जमुई से जीजा को लड़ा रहे हैं, वहीं समस्तीपुर को लेकर अब तक पत्ता नहीं खोला है.
चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती ने 27 मार्च 2024 को जमुई से अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. चिराग के अपने जीजा को जमुई से चुनाव लड़ाने के पीछे की वजह इस सीट को अपने परिवार के पास ही रखना बताया जा रहा है.अरुण भारती रामविलास पासवान की बेटी और चिराग पासवान की बहन निशा पासवान के पति हैं. अरुण और निशा की शादी साल 2009 में हुई थी. अरुण पेशे से इंजीनियर है और मूल रूप से कांग्रेस परिवार से नाता रखते हैं. उनकी मां डॉ ज्योति भारती भोजपुर जिले कि सहर सीट दो बार कांग्रेस विधायक, विधान परिषद सदस्य रह चुकी हैं