पटना. केंद्र की मोदी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को अंतरिम बजट पेश किया. लोकसभा के चुनावी वर्ष में अंतरिम बजट को लोक लुभावन होने की उम्मीद लगाई जा रही थी. इतना ही बिहार जैसे राज्य को इस बजट से काफी उम्मीद थी क्योंकि पांच दिन पहले ही सत्ता परिवर्तन का खेल भी राज्य में हुआ है. नीतीश कुमार ने महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया. सत्ता समीकरण के बदले इस खेल के बाद अब नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से राज्य में मुख्यमंत्री हैं. ऐसे में बिहार के हकों को लेकर नीतीश कुमार लम्बे अरसे से जिन मांगों की चर्चा कर रहे थे, उसे पूरा करने की दिशा में यह बजट एक अहम पड़ाव माना जा रहा था. निर्मला सीतारामण से कई प्रकार की उम्मीद लगाए बिहार के लिए इस बजट में खास होने की उम्मीद थी लेकिन बजट कुछ अलग किस्म का रहा.
अंतरिम बजट होने के नाते वित्त मंत्री ने कोई ऐसी घोषणा नहीं की जिसका नीतिगत रूप से बड़ा असर या फेरबदल पर असर डालता. जैसे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पिछले कई वर्षो से की जा रही है. नीतीश कुमार ने पिछले कुछ महीनों में अपनी इस मांग को कई मंचों पर उठाया. इतना ही नहीं नीतीश सरकार ने पिछले वर्ष जातिगत गणना कराई तो उसके बाद जो आंकड़ें सामने आए उसमें गरीबी को लेकर चिंतनीय तस्वीर भी उभरी. बिहार के 94 लाख ऐसे परिवार हैं जिनकी मासिक आमदनी 6 रुपए तक प्रति महीना है. नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा में इन परिवारों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए प्रति परिवार 2 लाख रुपए देने की घोषणा की. इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार से विशेष सहयोग की अपील की. नीतीश कुमार के इस सपने को पूरा करने में केंद्र अहम भूमिका निभा सकता है और ऐसे में बजट से काफी उम्मीद भी बनी.
विशेष पैकेज नहीं : हालांकि निर्मला सीतारमण ने जो अंतरिम बजट पेश किया उसमें नीतीश कुमार की इन मांगों को कोई जगह नहीं मिली है. बिहार के लिए कोई विशेष पैकेज देने की कोई घोषणा नहीं की गई है. ना ही राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने को लेकर बजट में कोई संकेत तक दिया गया. बजट से साफ हो गया कि केंद्रीय करों से अन्य राज्यों को जिस मद में राशि मिलती है उसी तरह बिहार को मिलते रहेगी. इसमें बिहार पर किसी प्रकार की खास मेहरबानी जैसी कोई तस्वीर उभरकर नहीं आई है. अंतरिम बजट में विभिन्न विभागों को जो आवंटन हुआ है, उस अनुरूप उनकी ही योजनाएं बिहार में साकार होंगी.
रक्षा में सर्वाधिक बजट : अंतरिम बजट में सर्वाधिक सबसे ज्यादा हिस्सेदारी रक्षा मंत्रालय की रही है. इस वर्ष रक्षा मंत्रालय का 6.20 लाख करोड़ बजट है जिसमें पिछले वर्ष से 3.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को 2.78 लाख करोड़, रेल मंत्रालय को 2.55 लाख करोड़, उपभोक्ता मामले और खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय को 2.13 लाख करोड़ , गृह मंत्रालय को 2.03 लाख करोड़ वहीं ग्रामीण विकास मंत्रालय को 1.77 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.रसायन और उर्वरक मंत्रालय को 1.68 लाख करोड़ रुपये, संचार मंत्रालय को 1.37 लाख करोड़ रुपये और कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय को 1.27 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.