पटना. राम मंदिर निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने से देश के गरीबों का कल्याण नहीं होगा. भाजपा देश के आम लोगों से जुड़े मूल मुद्दों को दरकिनार कर सिर्फ धर्म और मंदिर की रजनीति की बातें कर रही है. राम मंदिर निर्माण से देश के गरीबों का भला नहीं होने की ये बातें बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने कही हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीबी जदयू नेताओं में एक अशोक चौधरी ने गुरुवार को केंद्र सरकार को घेरा. उन्होंने कहा कि अगले वर्ष 22 जनवरी 2023 को रामलाल के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. लेकिन क्या राम मंदिर निर्माण से देश के उन गरीबों के बच्चों का भला हो जाएगा जो सूअर के साथ सो रहा है. देश के गरीबों को भगवान रामलला से क्या मतलब जिन्हें सनातन धर्म से अछूत मानकर रखा है.
उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन बनने से भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार अब देश के नाम बदलने की बातें कर रही हैं. ऐसे में अगर देश का नाम इंडिया की जगह पर भारत बोलना है तो देश के प्रधानमंत्री को हिम्मत दिखाना चाहिए और संसद में विशेष सत्र बुलाकर एक बिल लाना चाहिए. इसमें तय किया जाए कि देश का नाम अब इंडिया की जगह भारत बोला जाएगा. लेकिन यह बैक डोर से इस प्रकार का काम कर रहे हैं. एनसीईआरटी को क्या अधिकार है कि वह देश का नाम इंडिया की जगह भारत करे. हमारे देश का नाम अंग्रेजी में इंडिया और हिंदी में भारत बोलते हैं. आज विपक्षी दलों का गठबंधन इंडिया बन गया इसलिए केंद्र सरकार पूरे देश का नाम बदलना चाहती है.
अशोक चौधरी ने कहा कि देश तो यह चाहता है कि जो अरहर का दाल 55 रूपया प्रति किलो से बढ़कर 185 रूपया हो गया उसका दाम कम हो जाए. ₹500 में सिलेंडर लेकर के लोग घूमते थे उसकी कीमत आज ₹1100 हो गई. देश चाहता है कि उसकी कीमत कैसे फिर ₹500 हो इस पर बोले. लेकिन उस पर कोई कुछ नहीं बोलता है. भाजपा की ओर इंडिया और राम मंदिर जैसी बातें की जा रही है. कहा जा रहा है कि 22 जनवरी को रामलाल के मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी.
उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार से मांग की कि जिस दिन आप रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा कर रहे हैं उस दिन इस देश में जो एससी एसटी और पिछड़ों के लिए केंद्र की नौकरियों में बैकलॉग है उसे दूर करें. उनकी बहाली हो. तब समझ में आएगा कि आप अच्छे राम भक्त हैं. केंद्र सरकार देश की बेरोजगारी को दूर करने के लिए पिछड़ों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए रोजगार की व्यवस्था करे. तब यह कंपैक्ट कंपटीशन होगा कि एक तरफ धर्म, एक तरफ रोजगार और एक तरफ महंगाई की बातें होगीं. लेकिन आप सिर्फ राम मंदिर का निर्माण करने की बात करें तो इससे गरीब का भला नहीं होगा. देश की 70 साल की आजादी के बाद भी 70 वर्षों के आरक्षण के बाद भी एससी-एसटी को रोजगार नहीं मिला और केंद्र अब आउटसोर्स कर रही है. इससे गरीबों का भला नहीं होगा.