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गोपालगंज मुद्दे पर मार्च और बाकी मुद्दों पर मौन का मतलब क्या है? गठबंधन में अकेले निर्णय से संबंधों का गांठ बड़ा हो जाएगा तेजस्वी जी-HAM

गोपालगंज मुद्दे पर मार्च और बाकी मुद्दों पर मौन का मतलब क्या है? गठबंधन में अकेले निर्णय से संबंधों का गांठ बड़ा हो जाएगा तेजस्वी जी-HAM

PATNA: गोपालगंज मुद्दे पर आनन- फानन में मार्च की तैयारी और बिहार के बाकी बड़े- बड़े मुद्दों पर मौन की राजनीति समझ से परे है। लॉक डाउन और कोरोना संकट में राजनीतिक लय पाने की ललक में मुद्दों को लपक लेने की लालच से गठबंधन में संकट आ सकता है,जरूरत है कि संकट की इस घड़ी में मुद्दों पर सहमति के साथ राजनीतिक सक्रियता दिखाया जाता ताकि बेलगाम सरकार को बेनकाब किया जा सके।उपरोक्त बातें हम के प्रवक्ता धीरेन्द्र कुमार मुन्ना ने तेजस्वी यादव के आनन फानन में गोपालगंज हत्याकांड पर पटना से राजद विधायकों के साथ गोपालगंज मार्च की तैयारी करने वाले फैसले पर कही हैं। 

हम प्रवक्ता मुन्ना ने कहा कि बिहार सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिये कई बड़े बड़े मुद्दे हैं। तेजस्वी यादव को मार्च ही करना है तो प्रवासी बिहारियों की भूख से हो रही मौत पर करें, जीतन राम मांझी हमेशा उनके साथ हैं। भला कौन नहीं जानता कि संकट के समय सरकार के सिस्टम के द्वारा प्रवासियों के सुविधा देने के नाम पर लूट का गोरखधंधा चल रहा है। क्वारंटीन सेंटरों में कैसे भ्र्ष्टाचार का गन्दा खेल खेला जा रहा है इससे भी करीब करीब सारे लोग वाकिफ हो चुके हैं।

सवाल मुद्दों को लेकर संवेदनशीलता व संवेदनहीनता का है

राजद के द्वारा सेलेक्टेड मुद्दे पर राजनीति करने से महागठबंधन का महत्व धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. इस महागठबंधन में राजद के साथ-साथ कांग्रेस, हम, वीआईपी और रालोसपा भी है।इन सभी पार्टियों ने मुद्दों के आधार पर एक होकर महागठबंधन का निर्माण किया है।जरूरत है कि महागठबंधन के अन्य बड़े नेताओं जैसे जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी, उपेंद्र कुशवाहा सहित कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा से भी किसी भी मुद्दे पर आंदोलन करने से बात की जाए।

 उन्होंने कहा कि विडंबना यह है कि गोपालगंज मुद्दे पर टाइट राजनीति करने को आतुर नेता प्रतिपक्ष सिंदुआरी में हुई जघन्य कांड पर एक ट्वीट करना भी उचित नहीं समझते। एक जिम्मेदार राजनीतिक दल होने के नाते कोरोना संकट में सोशल डिस्टेंसिंग से मिलने पर भी संवेदनशील होने की जरूरत है. महामारी में राजनीतिक कारगुजारी करने से पहले सौ बार सोचनें की जरूरत है कि जिस खतरनाक बीमारी से राज्य जुझ रहा है, उन परिस्थितियों में हमें नागरिकों को बचने का उपाय बताना चाहिए ना की किसी मुद्दे पर माहौल बनाने के लिए एक ऐसी भीड़ जुटा लें जहां सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डाउन जैसे संवेदनशील मुद्दे की धज्जियां उड़ा दी जाए। अब जरूरत है कि आगे से मुद्दों पर आधारित राजनीति करने से पहले महागठबंधन के तमाम साथियों को सूचित कर उनसे सहमति बनाई जाए ताकि नीतीश सरकार को सही ढंग से जनता के सामने बेनकाब किया जा सके।

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