भ्रष्टाचार की ये कैसी जांच...रिटायर होने का इंतजार किया जा रहा ? मोतिहारी DAO के खिलाफ जांच के नाम पर कागजी घोड़ा दौड़ाया जा रहा, कहीं बचाने की साजिश तो नहीं ?

PATNA: बिहार के भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ जांच के नाम पर खानापूर्ति की जाती है. कार्रवाई कम बचाने की कोशिश ज्यादा होती है. तभी तो साल भर से अधिक समय से जांच के नाम पर सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ाया जा रहा है. जांच के नाम पर कोरम पूरा हो रहा, इधर जिनके खिलाफ आरोप हैं वे आराम से सेवानिवृत हो जाएंगे. यह कहानी है कृषि विभाग का. मोतिहारी में पदस्थापित जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद के खिलाफ अवैध संपत्ति अर्जित करने के आरोप हैं. इसकी शिकायत निगरानी विभाग से लेकर कृषि विभाग तक की गई । सभी जगह से आवेदक से शपथ पत्र की मांग की गई. आवेदक ने शपथ पत्र भी दिया लेकिन न तो निगरानी ने और न ही विभाग ने अब तक जांच पूरी की है. इधर, कृषि पदाधिकारी 31 अगस्त को रिटायर भी हो जायेंगे. बताया जाता है कि जांच को दबा दिया गया है. एक बार फिर से आवेदक कर्मचारी महासंघ गोप गुट के राज्य संरक्षक भाग्य नारायण चौधरी ने डीएम से लेकर वरीय अधिकारियों को पत्र भेजा है.हालांकि मोतिहारी डीएओ ने तमाम आरोपों को गलत करार दिया है. 

निगरानी व कृषि विभाग में फाईल को दबाने की कोशिश जारी 

संयुक्त कृषि निदेशक को भेजे पत्र में आवेदक ने कहा है कि मैंने आरोप के संबंध में शपथपत्र व संपुष्टि पत्र भेजा. आपके सभी पत्रों का जवाब भी दिया है. इस संबंध में मैंने कृषि विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी अनु कुमारी को, कृषि विभाग के सचिव, महालेखाकार को पत्र भेजा है. जिसमें जांच और कार्रवाई पूर्ण होने तक पेंशन तथा अन्य भुगतान पर रोक लगाने के लिए अनुरोध किया है.आप समुचित तथ्यों पर आधारित जांच नहीं कर रहे, केवल उपस्थिति के लिए पत्र भेज रहे हैं. जिसके कारण मुझ पर जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदे प्रसाद द्वारा बहुत लोगों से आरोप वापस लेने संबंधी दबाव बनाया जा रहा है. ऐसे में तथ्यों के आधार पर जांच कर प्रतिवेदन दे, ताकि जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद का पेंशन एवं अंतिम दावे का भुगतान स्थगित हो सके.  भाग्य नारायण चौधरी ने इस संबंध में 9 मार्च 2023 को पत्र दिया था.

डीएओ के दो कर्मी भी लपेटे में 

 3 जून 2023 को भाग्य नारायण चौधरी ने मोतिहारी के डीएम व अन्य वरीय अधिकारियों को पत्र दिया है. जिसमें कहा गया है कि चंद्र देव प्रसाद के खिलाफ आरोप पत्र मुख्यमंत्री से लेकर सभी जगह दिया गया. महालेखाकार ने दावे के भुगतान पर आरोपों की जांच एवं कार्रवाई होने तक रोक लगा दिया है. फिर भी विभाग उनके बचाव और संरक्षण में मजबूती से खड़ा है. क्योंकि आरोपी अधिकारी पैसे की बदौलत यह करवा रहे हैं. डीएम को भेजे पत्र में बिहार राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ गोप गुट के मुख्य सलाहकार ने आरोप लगाया है कि जिला कृषि पदाधिकारी से बड़े अधिकारी प्रभावित थे. निगरानी विभाग में भी मामले को दबा कर रखा गया है. कृषि कार्यालय में प्रशांत कुमार एवं दीपक कुमार से सारे अवैध वसूली कराए जाते हैं. जिनकी नियुक्ति अवैध है, विभागीय कार्यवाही में दोषी करार दिया गया है. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है. ऐसे में इनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की जांच के लिए अपर पुलिस महानिदेशक को अनुशंसा भेजी जाए.

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कृषि सचिव के आदेश पर हुई थी जांच 

मोतिहारी के जिला कृषि पदाधिकारी के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं. इस संबंध में कृषि विभाग से शिकायत की गई थी।  कृषि सचिव के आदेश पर जांच के आदेश दिये गए।. 1 नवंबर 2022 को कृषि विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी सुनील कुमार झा ने मुजफ्फरपुर के संयुक्त निदेशक को पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया था कि चंद्रदेव प्रसाद जिला कृषि पदाधिकारी पूर्वी चंपारण के खिलाफ अवैध ढंग से आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की गई है. ऐसे में परिवादी के प्राप्त आवेदन और सबूत के आधार पर दूसरे पक्ष को सुनवाई का अवसर देते हुए मामले की जांच कर जांच प्रतिवेदन 1 माह के अंदर उपलब्ध कराएं। 

क्या कहते हैं जिला कृषि पदाधिकारी 

जांच के आदेश मिलने पर जब मोतिहारी के जिला कृषि पदाधिकारी चंद्रदेव प्रसाद से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि हां विभाग के स्तर से जांच हुई है. हम पर जो आरोप लगे थे उन तमाम बातों का जिक्र हमने संपत्ति के ब्योरा में किया हुआ है। हमने कहीं कोई अवैध संपत्ति या आय से अधिक संपत्ति अर्जित नहीं की है। शिकायतकर्ता ने जो भी संपत्ति का जिक्र किया है उसे हम पहले से ही संपत्ति के ब्योरा में सार्वजनिक किये हुए हैं. वहीं इस संबंध में संयुक्त निदेशक कृषि जिनको जांच का जिम्मा मिला था उन्हें फोन किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी. 

शिकायत में अकूत संपत्ति अर्जित करने के आरोप 

मोतिहारी के जिला कृषि पदाधिकारी के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने 10 वर्षों में अकूत संपत्ति अर्जित की है। पटना से लेकर उत्तरप्रदेश के कई शहरों में पत्नी और अपने नाम पर जमीन की खरीद की है. साथ ही रिश्तेदारों के नाम से भी जमीन की खरीद की गई है. कृषि विभाग को जो ब्यौरा दिया गया है उसमें पत्नी के नाम पर यूपी के परारी एवं रतनपुरा में 6 बीघा जमीन, पत्नी के नाम पर ही यूपी के पडरौना में 5 कट्ठा कमर्शियल जमीन, इसी जगह पर 1929 स्क्वायर फीट कमर्शियल जमीन पत्नी के नाम पर है. इसके अलावे पटना में 2100 स्क्वायर फीट कमर्शियल जमीन खुद के नाम पर है. गोरखपुर में 311 स्क्वायर फीट कमर्शियल जमीन है. खुद और पत्नी के नाम पर करोड़ों रुपए के फिक्स्ड डिपॉजिट एवं करोड़ों रुपए के सोने चांदी के गहने हैं।