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नीतीश सरकार के आरक्षण का कोर्ट में क्या होगा ? हरियाणा में 75 फीसदी आरक्षण को रद्द करने का फैसले के बाद बढ़ी चिंता

नीतीश सरकार के आरक्षण का कोर्ट में क्या होगा ? हरियाणा में 75 फीसदी आरक्षण को रद्द करने का फैसले के बाद बढ़ी चिंता

पटना. देश के आरक्षण की सीमा बढ़ाने और निजी क्षेत्रों में आरक्षण लागू करने को लेकर अक्सर सियासी बयानबाजी होते रहती है. हाल ही में बिहार में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत महागठबंधन सरकार ने एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण का दायरा बढ़ाया है. इस बीच आरक्षण से ही जुड़े एक मामले में हरियाणा के प्राइवेट सेक्टर्स में नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण स्थानीय लोगों को देने के मामले में राज्य सरकार को हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है.  

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार के उस विधेयक को रद्द कर दिया है जिसमें निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के निवासियों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य कर दिया गया था। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद अब हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देने का ऐलान किया है। राज्य के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।  

हरियाणा में निजी क्षेत्र में आरक्षण देने की सरकार की पहल को हाईकोर्ट से लगे झटके के बाद अब बिहार को लेकर भी सवाल उठ रहा है. बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने के फैसले को भी कोर्ट से झटका लग सकता है इसे लेकर लोगों के मन में संशय चल रहा है. हालांकि बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने आरक्षण का दायरा बढ़ाने के विधेयक को मंजूरी दे दी है. अब सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से इसे राज्य गजट में अधिसूचित करने के साथ ही यह क्रियान्वित हो जाएगा. 

बिहार में आरक्षण के नए प्रावधान के अनुसार अब अनुसूचित जाति को 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 2 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत और अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 25 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. यह कुल 65 प्रतिशत आरक्षण होता है. वहीं 10 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक पिछड़ा वर्ग को मिलेगा. इस प्रकार कुल आरक्षण 75 प्रतिशत होता है. लेकिन आरक्षण के दायरे को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 करने के बिहार सरकार के निर्णय को अगर कोर्ट में चुनौती दी जाती है उस स्थिति में कोर्ट का फैसला बेहद अहम होगा. 

वहीं हरियाणा में रोजगार विधेयक में हुए संशोधन के अनुसार, प्राइवेट सेक्टर्स में नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 प्रतिशत कोटा अनिवार्य कर दिया गया था। नए बदलाव के बाद 30,000 रुपये से कम मासिक वेतन या वेतन वाली निजी क्षेत्र की नौकरियों में 75 प्रतिशत पद पर स्थानीय निवासी या हरियाणा की डोमिसाइल वाले लोगों की ही नियुक्ति की जाएगी. लेकिन इस फैसले को हाई कोर्ट ने झटका दे दिया है. ऐसे में बिहार के लिए आने वाले समय में अगर मामला कोर्ट में जाता है तो कोर्ट का फैसला बड़ी नजीर पेश करेगा. 

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