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ऑनलाइन गेम खेलने से पिता ने टोका तो गुस्से में बच्चों ने लगा ली फांसी, किसी तरह बची जान

ऑनलाइन गेम खेलने से पिता ने टोका तो गुस्से में बच्चों ने लगा ली फांसी, किसी तरह बची जान

GOPALGANJ : मोबाइल पर खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम्स आज बच्चों का पहला शौक बन चुके हैं, हालत यह है कि इसमें वह किसी प्रकार की रोकटोक बर्दाश्त नहीं पसंद करते। कभी-कभी परिवार की रोट-टोक को इतनी गंभीरता से ले लेते हैं कि यह मुसीबत का रूप ले लेती है, जैसा कि गोपालगंज मांझा और उचकागांव थाना क्षेत्र से सामने आया है। यहां दो बच्चों को जब उनके पिता ने गेम खेलने से रोका तो उन्होंने सुसाइड करने की कोशिश की। पिता की डांट उनको इतनी नागवार लगी कि वे फंदे से झूल गए। परिजनों ने जब फंदे से झूलता पाया तो उन्हें अस्पताल ले गए। उनकी हालत को देखते हुए डॉक्टरों ने गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया है। घटना के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है। फिलहाल दोनों की स्थिति स्थिर बताई जा रही है।

पढाई की जगह गेम खेलने पर लगाई थी फटकार

बताया गया कि उचकागांव थाना क्षेत्र के अरना बाजार निवासी बलिस्टर साह ने अपने बेटे झानगुरु (12 वर्ष)  पढ़ाई-लिखाई छोड़कर गेम खेलने में मशगूल रहता था। रविवार को बलिस्टर शाह ने उसे गेम खेलते देखा तो जमकर फटकार लगाई। डांट के बाद झानगुरू इतना जज्बाती हो गया कि उसने फांसी लगा ली। परिजनों ने जब फंदे से उसे झूलते देखा तो बेहोशी की हालत में सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में ले गए। डॉक्टरों ने पीड़ित की हालत खराब देखकर बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया।

माझा थाने में भी आया ऐसा ही मामला


ऐसा ही एक मामला माझा थाना क्षेत्र से भी सामने आया है। यहां नकवा टोला रामनगर निवासी लोटन चौधरी के 14 साल के पुत्र साजन कुमार ने भी पिता की डांट-फटकार के बाद कपड़े का फंदा बनाकर फांसी लगा ली। लोटन चौधरी ने भी अपने बेटे को गेम खेलने के लिए रोका था। इसी बात को लेकर उसने सुसाइड की कोशिश की। इधर, घर में फांसी पर लटका देख परिजन उसे सदर अस्पताल में लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टर ने स्थिति चिंताजनक देखते हुए उसे बेहतर इलाज के लिय गोरखपुर रेफर कर दिया।

दिमाग को प्रभावित कर रहे हैं ऑनलाइन गेम

ऑनलाइन गेम की लत बच्चों को कुछ इस कदर लग रही है कि वे रात में नींद लेने के बजाय दो-तीन बजे तक गेम खेलने में ही लगे रहते हैं। मनोचिकित्सकों की मानें तो लत लगने के बाद यदि उन्हें ऑनलाइन गेम या वीडियो देखने से मना किया जाए तो उनमें चिड़चिड़ापन आने लगता है- 'वे आक्रामक हो जाते हैं और बिना मोबाइल के उन्हें घबराहट और बेचैनी होने लगती है। ऐसे में माता-पिता को इस बात का ख्याल रखना चाहिए। उन्हें अपने बच्चों की समय-समय पर मॉनिटरिंग करनी चाहिए ताकि वे गलत राह पर ना जाएं'। 


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