ये कैसा सुशासन? अपहृत कारोबारी भाईयों को खोजने में 'नौबतपुर' पुलिस हो गई फेल! 'आश्वासन' से परिजनों का उठा विश्वास

PATNA: पटना के नौबतपुर से 8 दिसंबर से अपहृत कारोबारी भाईयों का अब तक कोई पता नहीं चल सका है। अपने आप को तेजतर्रार मामने वाली पटना पुलिस 25 दिनों बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। अब तो लग रहा कि नौबतपुर पुलिस पूरे मामले को भूल ही गई है। क्यों कि समय बीतने के साथ-साथ पुलिस की सुस्ती भी देखने को मिल रही है। लिहाजा अब पपरिजनों का विश्वास पटना पुलिस से उठते जा रहा है। नौबतपुर पुलिस अब तक छोटे बदमाशों को पकड़ कर तुर्रम खां बन रही थी लेकिन जब बड़ा मामला आया तो सारी तेजी की हवा निकल गई। पुलिस की नाकामी से परिजनों के ऊपर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा है।
कहां गये कारोबारी भाई?
अपहरण की घटना सामने आने के बाद छोटे से लेकर बड़े लोग कारोबारी के आवास गए और परिजनों से मुलाकात की। बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद,बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल समेत बीजेपी व राजद के कई बड़े नेता अपहृत कारोबारी भाई के आवास पहुंचे और परिजन से मुलाकात की। सबने पुलिस के वरीय अधिकारियों से फोन पर बात की। डीजीपी से लेकर पटना एसएसपी तक यही आश्वासन देते दिखे कि जल्द ही सफलता मिलेगी।लेकिन इतने दिन बीतने के बाद भी नतीजा ढाक के तीन पात ......।
पुलिस के आश्वासन से परिजनों का विश्वास उठा
कारोबारी भाई कहां गए,पुलिसिया जांच कहां तक पहुंची....इसका जवाब पुलिस के पास नहीं है। अब भी सिर्फ यही आश्वासन दिया जा रहा कि पुलिस लगी हुई है और जल्द ही सफलता मिलेगी। लेकिन पुलिस के इस आश्वासन से परिजनों का विश्वास उठ सा गया है।
आठ दिसंबर को हुए थे लापता
आठ दिसंबर को नौबतपुर में राइस मिल पार्टनर के साथ हिसाब करने पहुंचे दो चावल कारोबारी भाई के लापता होने का मामला प्रकाश में आया था। अपहृत कारोबारी राकेश कुमार गुप्ता व अमित कुमार गुप्ता के पिता ने अपने दो पुत्रों की गुमशुदगी का मामला थाने में दर्ज कराया था.बड़े कारोबारी के अपहृत हुए 12 दिन बीत गए लेकिन पटना की पुलिस अब तक उन्हें खोजने में विफल रही है।पुलिस लगातार सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही,कई जगहों पर छापेमारी भी की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। परिजन परेशान हैं,उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि वे क्या करें,परिजनों ने डीजीपी से भी गुहार लगाई . यह मामला काफी तुल पकड़ा लेकिन अब तक पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। बड़ा सवाल यही है कि आखिर लोग कैसे पुलिस पर भरोसा करेंगे। दरभंगा में पुलिस न सोना बरामद कर सकी और न पटना में अपहृत कारोबारी भाईयों को ही खोज सकी। ऐसे में सुशासन की पुलिस की कार्यशैली कटघरे में है।