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बिहार की इस बदहाली के लिए कौन है जिम्मेदार... मोइनुल हक स्टेडियम के बद्दतर हालात को देख बिहार पर भड़के क्रिकेटर

बिहार की इस बदहाली के लिए कौन है जिम्मेदार... मोइनुल हक स्टेडियम के बद्दतर हालात को देख बिहार पर भड़के क्रिकेटर

पटना. बदहाल व्यवस्था, बदइंतजामी और बद्दतर हालात से जूझते पटना के मोइनुल हक स्टेडियम की स्थिति को देखकर क्रिकेटर वेंकटेश प्रसाद ने अपनी गहरी नाराजगी जताई है. मुम्बई और बिहार के बीच चल रहे रणजी ट्रॉफी मुकाबले में मैदान का वीडियो देखने के बाद पूर्व भारतीय गेंदबाज वेंकटेश प्रसाद ने बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को जमकर फटकारा है. प्रसाद ने ट्वीट किया, “यह अस्वीकार्य है. रणजी ट्रॉफी भारत की प्रमुख घरेलू प्रतियोगिता है और अब समय आ गया है कि सभी हितधारक इसके महत्व को समझें. राज्य संघ द्वारा इसमें सुधार नहीं करने का कोई वाजिब कारण नजर नहीं आता.” 

दरअसल, मोइनुल हक स्टेडियम में ही 1996 विश्व कप टूर्नामेंट का जिम्बाब्वे बनाम केन्या मैच खेला गया था. इसके अलावा यहां दो और अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गए हैं. स्टेडियम का नाम पहले राजेंद्र नगर स्टेडियम था. 1970 में भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के महासचिव मोइन-उल-हक की मृत्यु के बाद इसका नाम बदल दिया गया. लेकिन वर्ष 2000 के बाद बिहार क्रिकेट एसोसिएशन में राजनीति बढ़ी तो स्टेडियम का सत्यानाश हो गया. 

इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन के महासचिव और 1936 में बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के संस्थापक मोइन-उल-हक के नाम पर बने इस स्टेडियम में अब एक अरसे बाद रणजी ट्राफी के एलीट ग्रुप का एक मैच हो रहा है. लेकिन स्टेडियम की बदहाली देकर लोगों को रोना आ रहा है. ऐसे में स्टेडियम की इस दुर्गति के लिए कौन जिम्मेदार है इस पर पर बड़ी बहसबाजी शुरू हो गई है. इसे लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है. बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पहले क्रिकेटर रहे हैं. ऐसे में उन्हें लेकर भी तंज कसा जा रहा है कि आखिर एक खिलाड़ी होने के नाते उन्होंने मोइन-उल-हक स्टेडियम की बेहतरी के लिए कोई काम क्यों नहीं किया. 

लेकिन स्टेडियम की यह दुर्दशा कोई एक दिन की नहीं है. लालू-राबड़ी राज के बाद बिहार में 2005 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार बनी. उसके बाद के अगर खेल मंत्रियों पर नजर डालें तो एनडीए सरकार के दौरान नीतीश कुमार के समूचे कार्यकाल में केवल भाजपा के नेताओं ने ही कला, संस्कृति और खेल मंत्रालय का पद सम्भाला है. साल 2015 में बनी महागठबंधन सरकार के 20 महीनों को हटा दें तो कोई ग़ैर भाजपाई नेता उस पद पर नहीं बैठा है. बिहार में खेल मंत्रियों की सूची पर गौर करें तो साल 2005 से 2008 तक बीजेपी के जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, साल 2008 से 2010 तक बीजेपी की रेणु देवी (पूर्व उपमुख्यमंत्री), साल 2010 से 2013 तक बीजेपी के सुखदा पांडेय, साल 2017 से 2019 तक बीजेपी के कृष्ण कुमार ऋषि, साल 2019 से 2020 तक बीजेपी के प्रमोद कुमार, साल 2020 से 2021 तक बीजेपी के मंगल पांडेय और साल 2021 से 2022 तक बीजेपी के आलोक रंजन झा के पास खेल का विभाग रहा. 

इस बीच स्टेडियम के पुनर्निर्माण की बात 2013 से चल रही है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने जब राजगीर में विश्वस्तरीय स्टेडियम बनवाने की घोषणा की थी तो साथ में पटना के मोइन-उल-हक स्टेडियम के पुनर्निर्माण की भी बात कही थी. 2018 में राजगीर के क्रिकेट स्टेडियम की आधारशिला रखी गई लेकिन वहां भी स्टेडियम अभी तक बन नहीं पाया है. वहीं पटना के उन्होंने मोइन-उल-हक स्टेडियम की जो तस्वीरें और वीडियो सामने आई हैं वह बिहार के लिए शर्मसार करने वाली है. बिहार सरकार के मौजूदा कला संस्कृति खेल मंत्री जितेंद्र राय हैं. राजद कोटे से आते हैं. लेकिन मोइन-उल-हक स्टेडियम की सुध लेने और उसमें सुधार करने की कोई पहल नहीं हुई. 

वहीं अब पटना में हो रहे बिहार और मुंबई के बीच के मुकाबले में जो बदहाली की तस्वीरें स्टेडियम से आई हैं, उसने बिहार को और अधिक बदनामी दी है. 


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