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पार्टी लाइन से अलग जाने वालो के खिलाफ कार्रवाई से क्यों हिचकते हैं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी, चेतन आनंद पर कार्रवाई से क्यों हिचक रही पार्टी, इनसाइड स्टोरी

पार्टी लाइन से अलग जाने वालो के खिलाफ कार्रवाई से क्यों हिचकते हैं उपमुख्यमंत्री तेजस्वी, चेतन आनंद पर कार्रवाई से क्यों हिचक रही पार्टी, इनसाइड स्टोरी

पटना: तेजस्वी यादव राजनीति तो समझते हैं, लेकिन कूटनीति उन्हें नहीं आती.ये कहना है राजनीतिक जानकारों का. लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव 26 साल की उम्र में राघोपुर से 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गए. तेजस्वी पहली बार विधायक बने और बिहार के उपमुख्यमंत्री बन गए.दूसरी बार राजद की सरकार बनी तो तेजस्वी फिर उपमुख्यमंत्री बने. जदयू राजद की सरकार बने एक साल से अधिक बीत गया है.  लालू यादव के बाद तेजस्वी राजद के दूसरे बड़े ताकतवर नेता है. पार्टी में कई ऐसे मामले आए जिन पर तेजस्वी कड़ा निर्णय लेने से हिचकते दिखे. राजद की जब जदयू के साथ सरकार बनी तो कृषिमंत्री बने सुधाकर सिंह ने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. नीतीश के दबाव में उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया लेकिन उनके खिलाफ बोलना नहीं छोड़ा. जदयू ने जब दबाव बढ़ाया तो शोकॉज जारी कर दिया लेकिन उनके खिलाफ कोई भी बड़ा निर्णय तेजस्वी नहीं ले सके. उस समय लालू ऑपरेशन के लिए सिंगापुर में थे और पार्टी के कमांडर तेजस्वी थे.

राबड़ी देवी के मुंहबोले भाई और राजद के एमएलसी सुनील सिंह लगातार जदयू पर करारा वार करते रहते हैं.तेजस्वी ने इसे लेकर भी कोई टिप्पणी नहीं की और न हीं कोई शोकॉज हीं पूछा गया.सुनील सिंह अपनी बात पर अडिग रहते हुए आज भी अपनी बात पर कायम है.

सबसे ताजा मामला पूर्व बाहुबली और हाल हीं में जेल से छुटे आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद का है. चेतन आनंद ने राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. मामला हर रोज नया मोड़ ले रहा है और बिहार में जाति की राजनीति उफान पर है. तेजस्वी ने दिल्ली में कहा कि वे पटना लौटेंगे तो इसका हल निकाल लिया जाएगा. तेजस्वी पटना लौटे तो चेतन आनंद को उनकी जमीन बताते हुए मनोज झा को समर्थन किया. बिहार में ठाकुर बनाम ब्राह्मण विवाद पर पहली बार सूबे के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपनी प्रतिक्रिया दी . उन्होंने कहा कि राज्यसभा सांसद मनोज झा ने किसी जाति पर कोई टिप्पणी नहीं की है. बेवजह सियासी लाभ लेने के लिए मामले को तूल दिया जा रहा है. जहां तक उनके विधायक चेतन आनंद के विरोध का सवाल है तो उनको पार्टी फोरम में अपनी बात रखनी चाहिए. इस तरह ट्वीट करना ठीक नहीं.

बता दें लालू यादव 1977 के लोकसभा चुनाव में 29 साल की उम्र में छपरा से सांसद चुने गए थे. लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव 26 साल की उम्र में राघोपुर से 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गए. तेजस्वी पहली बार विधायक बने और बिहार के उपमुख्यमंत्री बन गए.लालू यादव राजनीति में कॉलेज के दिनों में ही आ गए थे. 1973 में लालू यादव पटना यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष बने थे और उसके बाद से उनकी राजनीति बिहार में कभी थमी नहीं. तेजस्वी यादव ने क्रिकेट मोह में नौंवीं क्लास के बाद पढ़ाई नहीं की लेकिन छात्र राजनीति की उम्र में ही उन्होंने चुनावी राजनीति में न केवल दस्तक दी बल्कि चुनाव भी जीते और उपमुख्यमंत्री भी बने.अभी तेजस्वी 34 साल के हैं और मुख्यमंत्री के दावेदार हैं. अगर नीतीश कुमार पर राजद सुप्रीमो लालू भारी पड़ते हैं और तेजस्वी को सूबे की कमान मिलती है तो वे  देश के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो ऐसे में सवाल है कि तेजस्वी पार्टी लाइन के खिलाफ जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से क्यों हिचकते हैं.

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