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मनोज झा की कविता पर क्यों मचा कोहराम, बिहार की सियासत में राजद में हुए दो कथित बड़े जातियों की लड़ाई का किसे होगा फायदा

मनोज झा की कविता पर क्यों मचा कोहराम, बिहार की सियासत में राजद में हुए दो कथित बड़े जातियों की लड़ाई का किसे होगा फायदा

जातिवादी राजनीति की तपीश में बिहार जल रहा है. मनोज झा की संसद में सुनाई कविता पर सूबे में बवाल मचा हुआ है. राजद के सांसद  मनोज झा के  ठाकुर का कुआं कविता पर हर दलके ठाकुर नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जातियों के मकड़जाल में उलझे बिहार में  ठाकुर नेताओं ने राजद के राज्यसभा सांसद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रोफेसर मनोज झा ने अपने संबोधन में आगे कहा कि इस कविता का प्रतीक किसी एक जाति के बारे में नहीं है. ये सत्ता का प्रतीक है. शक्ति का प्रतीक है. जहां एक मजदूर अपने अधिकार के बारे में सोच रहा है. वो कहता है कि मेहनत के अलावा सबकुछ उनका है जिनके पास ताकत है. वो सवाल करता है कि फिर उसका क्या है?  

जदयू में दीन दिन पहले अशोक चौधरी और ललन सिंह का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि एक नया विवाद खड़ा हो गया है.करीब सप्ताह दिन बाद बिहार में मनोज झा की कविता  बड़ा मुद्दा बन चुका है. राजद के ही विधायक चेतन आनंद ने यह मुद्दा उठाया और साफ तौर पर कहा कि इस तरह का बयान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा था कि वह लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर सारी बातें बताएंगे.बता दें चेतन आनंद पूर्व सांसद आनंद मोहन के बेटे हैं.

आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद के विरोधी सुर पर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने मनोज झा को समर्थन देते हुए साफ तौर पर कहा कि मनोज झा एक विद्वान आदमी है, उन्होंने जो कहा सही कहा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि मनोज झा ने ठाकुर या राजपूत के खिलाफ कुछ नहीं बोला है. बिना नाम लिए उन्होंने आनंद मोहन को जवाब भी दिया और कहा कि जो इस मुद्दे को उठा रहे हैं वह जातिवाद करते हैं. बता दें राज्यसभा सांसद मनोज झा ने ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविता को सुनाया जिसमें ठाकुरों का जिक्र था और अंदर के ठाकुर को मारने की अपील की थी. तो राजद के हीं  चेतन आनंद ने विरोध करते हुए  कहा कि ठाकुर समाज सभी को साथ लेकर चलता है और समाजवाद में किसी एक जाति को टारगेट करना दोगलापन है. ऐसे बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि जब मनोज झा राज्यसभा में बोल रहे थे तो उन्होंने अपनी कविता के जरिए ठाकुर समाज को टारगेट करने की कोशिश की गई.

वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि किसी भी समाज को आहत पहुंचाने का अधिकार किसी को नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जवाब लालू यादव को देना चाहिए क्योंकि उनकी पार्टी ने सदा समाज में धर्म के नाम पर लड़ाई लगवाने का काम किया है. वो तो हमेशा इसकी योजना बनाते रहते हैं कि कैसे लोगों में लड़ाई लगवाई जाए .

चेतन के मनोज के विरोध के बाद बिहार के सभी पार्टियों के नेता इस विवाद में कूद गए है. सबसे पहले मनोज झा के संसद मे कविता पढ़ने के एक सप्ताह से अधिक बीतने के बाद यह सवाल खड़ा हुआ तो सवाल उठता है कि विरोध के स्वर इतने दिनों बाद क्यों मुखर हुआ.लोकसभा चुनाव सिर पर है तो क्या बिहार को फिर से जातिवादी कीचड़ में धकेलने की कोसिश हो रही है. राजद के नेता का राजद के नेता हीं विरोध कर रहे हैं. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि इसे जानबुझ कर ब्राह्मण बनाम ठाकुर विवाद बना दिया गया है. बहरहाल बिहार में ब्राह्मण बनाम ठाकुर की आग में जल रहा है तो सवाल उठता है कि इस आग से किस राजनीतिक दल को फायदा हो रहा है.

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