नई बहुरिया आवै हे चिकुटवे सबन लावै हे...अधिकारी के चंगुल में सिमट कर रह गये केके पाठक, अधिकारी के द्वारा पहले से तय किये गये स्कूल का पाठक ने किया निरीक्षण, बदहाल स्कुल से रहे दूर

नई बहुरिया आवै हे चिकुटवे सबन लावै हे...अधिकारी के चंगुल  मे

औरंगाबाद- शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बारे में कहा जाता है कि वो जमीन पर उतर कर समस्या का समाधान करते हैं. उनकी जब से शिक्षा विभाग में पदस्थापना हुई है, शिक्षा विभाग की तस्वीर बदल गई है. स्कूलों में शिक्षक समय से पहुंच रहे हैं, वहीं   विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ी है.अभिभावक केके पाठक की प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं. शिक्षकों से लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारी समय पर कार्यालय आ रहे हैं.खामियों को दूर किया जा रहा है.बिहार की शिक्षा व्यवस्था पटरी पर आने लगी है. वहीं  केके पाठक लगातार एक्शन मोड में हैं, वे उन शिक्षकों के साथ छात्रों पर भी कार्रवाई कर रहे हैं, जो कार्य और पढ़ाई में लापरवाही कर रहे हैं और विभाग के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं. 

बिहार में शिक्षा व्यवस्था की सेहत सुधारने के लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक  जोरशोर से लगे हैं. इसी क्रम में वे अचानक औरंगाबाद पहुंचे, पहुंच गए मदनपुर.  पहले उन्होने वहां प्रोजेक्ट हाई स्कूल और अनुग्रह उच्च विद्यालय का निरीक्षण किया. इस दौरान व्यवस्था में सुधार लाने का निर्देश दिया. सबसे पहले उन्होंने प्रोजेक्ट जयप्रभा कन्या उच्च माध्यमिक में दौरा किया, जहां प्रवेश करते ही सबसे पहले विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक से उन्होंने विद्यालय में छात्र छात्राओं एवं शिक्षकों की उपस्थिति के बारे में जानकारी ली. इसके बाद उन्होंने विद्यालय में लगे शिक्षकों और छात्राओं की उपस्थिति बोर्ड को देखा और विद्यालय के सभी क्लासरूम में बारी-बारी जायजा लिया. छात्राओं से पढ़ाई के बारे में पूछताछ की. प्रत्येक माह होने वाले परीक्षा से संबधित भी जानकारी ली. इस दौरान छात्राओं ने कमरा और शिक्षकों की कमी को लेकर सवाल उठाया जिसकी जल्द ही भरपाई करने का उन्होंने आश्वासन दिया. फिर शौचालय का निरीक्षण किया जहां उससे संतुष्ट होकर प्रशंसा की. इसके बाद लैब का निरीक्षण किया, जहां लैब के शिक्षक अजीत कुमार केसरी और ईश्वरी कुमार से जानकारी ली. प्रत्येक दिन स्टूडेंट्स का दो लैब क्लास लेने का निर्देश दिया. निरीक्षण के दौरान एक कमरा को दरवाजा झूल रहा था जिसे बदलने और शौचालय वाले कमरे के तरफ रहे कचरे की साफ-सफाई कराने का निर्देश दिया. विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रवीण कुमार मिश्र ने भी उन्हे कमरों की समस्या से अवगत कराया जिसका जल्द ही निर्माण करवाने का उन्होने आश्वासन दिया.  

इसके बाद वें पास के ही अनुग्रह प्लस टू उत्क्रमित विद्यालय पहुंचे, जहां प्रभारी प्रधान शिक्षक हेमलता सिंह ने अपर सचिव को शॉल देकर सम्मानित किया. इसके बाद केके पाठक ने हेमलता सिंह से बीपीएससी परीक्षा देने के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि परीक्षा नहीं दी है. जब उन्होने कारण पूछा तो प्रधान शिक्षक ने कहा कि समय नहीं था. वही अन्य महिला शिक्षिकाओं से जब केके पाठक ने यही सवाल किया तो उन्होने कहा कि फॉर्म नहीं भर पाए थे.प्रधान शिक्षक से शायद केके पाठक को इस तरह के दो टूक जवाब की उम्मीद नही रही होगी. दरअसल प्रधान शिक्षक का दो टूक जवाब नंगी हकीकत है. स्कूल दस बजे से चार बजे तक चलने है. लिहाजा प्रधान को एक घंटे पहले स्कूल आना ही है. स्कूल आने के पहले उन्हे बच्चों के मध्याह्न भोजन के लिए नून, तेल, लकड़ी, सब्जी का इंतजाम करना है. इसके लिए स्कूल जाने के पहले दो घंटें तक बाजार करना है. ऐसे में प्रधान शिक्षक को अपनी दिनचर्या सुबह के करीब 7 बजे से ही शुरु करनी होगी. दस से चार बजे तक स्कूल कर कोई भी प्रधानाध्यापक या प्रधान शिक्षक शाम पांच बजे के क बाद ही घर पहुंचेगा. फिर अपने घर और अपने बाल बच्चे परिवार को देखने में रात के नौ-दस बज ही जाने है. इसके बाद शिक्षक सोने के बजाय जब बीपीएससी टीचर्स परीक्षा की तैयारी करते तो इससे उनकी दिनचर्या निःसंदेह  प्रभावित होगी. लिहाजा प्रधान शिक्षक ने परीक्षा नही देने की बात कह दी तो इसके पीछे की सच्चाई स्वीकार करना चाहिए.

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 प्रधान शिक्षक से बात करने के बाद केके पाठक ने स्कूल के लैब का भी निरीक्षण किया जहां  की व्यवस्था से सतुंष्ट होकर तारीफ की. वही शौचालय देख पाइंप बदलने का निर्देश दिया. इसके बाद सभी क्लास रूम और स्मार्ट क्लास का बारी बारी से निरीक्षण किया और छात्रों से हिंदी की किताब पढ़वाई. छात्रों ने किताब पढ़कर सुनाया जिससे वें खुश हुए इसके बाद विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक से शिक्षकों की संख्या और छात्र छात्राओं की संख्या के बारे में पूछताछ की.

वहीं ओबरा के गौरी सोनवर्षा के उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के ग्रामीणों ने केके पाठक का ध्यान दिलाने के लिए उनके यहां आने की सूचना मिलने पर  दो-तीन दिन पहले ही स्कूल की बदहाली का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया है. वीडियो में स्कूल में एक कुत्ता स्कूल के कमरे में आराम करता दिख रहा है जबकि भवनों की हालत जर्जर है. स्कूल में सिर्फ वर्ग 6 तक पढ़ाने वाले शिक्षक है. इसके उपर की 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई के लिए स्कूल में टीचर्स नही है. केकेपाठक ने इस स्कूल का निरीक्षण नहीं करने से गांव वाले मायूस हैं.

 प्रभारी प्रधानाध्यापक ने बताया कि 53 प्रतिशत छात्र-छात्राओं की उपस्थिति है, जिसे और बढ़ाने का उन्होंने निर्देश दिया और स्कूल नहीं आनेवाले स्टूडेंट्स का नाम काटने का निर्देश दिया. इस दौरान जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह, मदनपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी कुमुद रंजन, डीपीओ सह प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी रवि कुमार रौशन, मुखिया हामिद अख्तर सहित अन्य लोग मौजूद रहे. मदनपुर के स्कूलों की विजिट के बाद जब मीडियाकर्मियों से बात करनी चाही तो उन्होने सिर्फ इतना कहा कि वे मीडिया से दूर रहते है. इसके बाद केके पाठक औरंगाबाद आएं. यहां राजकीय अतिथिगृह में डीएम श्रीकांत शास्त्री, डीईओ संग्राम सिंह, डीपीओ स्थापना दयाशंकर सिंह एवं शिक्षा विभाग के अन्य अधिकारियों के साथ शाम होने तक बैठक की. बैठक के बाद जब मीडियाकर्मियो ने उनसे बात करनी चाही तो उन्होंने कुछ भी नही कहा. चुपचाप अपनी गाड़ी में बैठे और प्रदेश की राजधानी पटना के लिए प्रस्थान कर गए.