Bihar Land Survey: नीतीश सरकार हर काम बिना तैयारी के ही शुरू कर देती है. नतीजा यह होता है कि सरकार को बैकफुट पर जाना पड़ता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सपने को साकार करने के लिए बिना तैयारी या फिर आधी-अधूरी तैयारी कर जमीन सर्वे कराने का काम शुरू कर दिया. नतीजा क्या हुआ सबके सामने है. पूरे बिहार में अफरा तफऱी मच गई। रैयतों के भारी गुस्से को भांपते हुए सरकार को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा है. सामने विधानसभा का चुनाव है, लिहाजा सरकार ने रैयतों को तीन महीने का समय देने का निर्णय लिया है. नीतीश कैबिनेट के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री अब यह कहने से नहीं चूक रहे कि सर्वे कर्मी रैयतों को मदद नहीं कर पा रहे.
भूमि सुधार और राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल अब हर जगह जानकारी दे रहे कि रैयतों को तीन महीने का समय दिया जा रहा है, ताकि वे लोग जमीन संबंधित कागज ठीक से ढूंढ लें. मंत्री जी कह रहे कि जमीन सर्वे के काम में लगे लोगों को कैथी लिपि सिखने को कहा गया है. सवाल यहीं है कि क्या सरकार को पता नहीं है, सूबे में जमीन संबंधी कागजात कैथी लिपि में भी लिखे गए हैं. सर्वे शुरू कराने से पहले क्यों नहीं इसकी ट्रेनिंग दी गई। मंत्री दिलीप जायसवाल कहते हैं कि हम रैयत को तीन महीना कागज खोजने के लिए समय दे रहे हैं. जिनके पास कागज नहीं है वे अपना-अपना कागज निकाल लें. हम सभी जनप्रतिनिधि के साथ भी बैठकर समझेंगे कि किस तरह की परेशानी आ रही है. उन्होंने कहा है कि सरकार रैयतों के साथ भी बैठेगी और इसका ठोस हल निकालेगी.
मंत्री ने स्वीकारा- समस्या हो रही है..तीन महीने का समय देंगे
बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने सर्वे को लेकर हो रही परेशानी को स्वीकार किया. उन्होंने कहा कि सर्वे हो जायेगा तो विवाद खत्म हो जायेगा. सर्वे की शुरूआत होने से दो लोगों को ज्यादा परेशानी है. एक तो है जमीन माफिया, जो किसी के नाम की जमीन किसी के नाम पर रजिस्ट्री करा देते थे. दूसरा वैसे लोग परेशान हैं जो 50000 एकड़ जमीन जो सरकारी है, उसका अतिक्रमण किए हुए है. उन लोगों को डर लग रहा है कि सर्वे हो जाने पर उनकी पोल खुल जाएगी. राजस्व मंत्री ने स्वीकार किया कि भूमि सर्वे में आम लोगों को भी काफी दिक्कत हो रही है. क्योंकि राजस्व विभाग के कर्मचारी और सर्वे कार्य में लगे अमीन को जिस तरह से मदद करनी चाहिए थी, उस तरह से मदद नहीं कर पा रहे हैं . इसलिए हमने आईएएस अधिकारियों को गांव में भेजा था. पता लगाया है कि रैयतों को किस तरह की परेशानी हो रही है. मालूम हुआ है कि कागजात या सूचना निकालने में परेशानी हो रही है. अभी हम दो-तीन दिन के अंदर फैसला लेने वाले हैं. हमने विचार किया है कि हम जनता को 3 महीने का समय देंगे,ताकि कागज तैयार कर लें. जल्द ही आदेश जारी होगा.