karva chauth 2024: करवा चौथ भारत में और विदेशों में भी बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार एक महिला द्वारा अपने पति की लंबी उम्र के लिए किए गए उपवास और भक्ति का प्रतीक है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में इस परंपरा को लेकर कई बहसें भी हो चुकी हैं। कई लोगों को लगता है कि महिलाओं से उनके पतियों की लंबी उम्र के लिए उपवास की अपेक्षा करना समस्याग्रस्त हो सकता है। फिर भी, इसके आलोचकों के बावजूद, करवा चौथ एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक त्योहार बना हुआ है। खास बात यह है कि अब कई पुरुष भी अपने पत्नियों के सम्मान में प्रतीकात्मक रूप से उपवास करने लगे हैं। करवा चौथ की जड़ें भारतीय पौराणिक कथाओं में गहरी हैं। यह त्योहार सदियों पुरानी कथाओं से प्रेरित है, जिनमें भक्ति और समर्पण की कहानियां हैं।
करवा की कथा
करवा चौथ की शुरुआत की सबसे प्रसिद्ध कथा करवा नामक एक महिला की है, जिसकी भक्ति और समर्पण अद्वितीय था। कहानी के अनुसार, करवा अपने पति के प्रति अत्यधिक समर्पित थीं और उनकी भक्ति ने उन्हें आध्यात्मिक शक्तियाँ प्रदान की थीं। एक दिन, जब उनके पति नदी में स्नान कर रहे थे, एक मगरमच्छ ने उन पर हमला कर दिया। करवा ने बहादुरी से हस्तक्षेप किया और मगरमच्छ के मुंह को सूत से बांध दिया। उन्होंने मृत्यु के देवता यमदेव से आग्रह किया कि वह मगरमच्छ को दंडित करें और उनके पति की जान बचाएं।
यमदेव ने पहले तो इनकार कर दिया, लेकिन करवा की भक्ति की शक्ति को पहचानते हुए, उन्होंने मगरमच्छ को मार दिया और करवा के पति को लंबी उम्र का आशीर्वाद दिया। करवा की यह कथा प्रेम और समर्पण की गहरी भावना का प्रतीक है।
रानी वीरावती की कथा
रानी वीरावती की कथा भी करवा चौथ से जुड़ी एक महत्वपूर्ण कहानी है। वीरावती अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थीं, और उन्होंने अपने पति की भलाई के लिए करवा चौथ का व्रत रखने का फैसला किया। लेकिन चंद्रमा के देर से निकलने के कारण वह कमजोर हो गईं, और उनके भाइयों ने बहन की तकलीफ देखकर चालाकी से एक दर्पण का उपयोग करके चंद्रमा का भ्रम पैदा किया। वीरावती ने उस भ्रमित चंद्रमा को देखकर व्रत तोड़ दिया।
कुछ ही समय बाद, उन्हें अपने पति की मृत्यु की खबर मिली। इस दुखद घटना पर देवी पार्वती को उन पर दया आई और उन्होंने वीरावती को उनके पति को पुनर्जीवित करने का आशीर्वाद दिया। इस घटना के बाद, देवी पार्वती ने उन्हें हमेशा पूरी आस्था और भक्ति के साथ व्रत रखने की सलाह दी।
सत्यवान और सावित्री की कथा
करवा चौथ से जुड़ी एक और प्रमुख कथा सत्यवान और सावित्री की है। जब यमदेव सत्यवान की आत्मा को लेने आए, तो उनकी पत्नी सावित्री ने अपने पति की जान बचाने के लिए बहुत प्रयास किया। यमदेव को प्रभावित करने के लिए सावित्री ने खाना और पानी छोड़ दिया। अंततः, यमदेव ने सावित्री को संतान प्राप्ति का वरदान दिया, लेकिन सावित्री ने कहा कि वह किसी और से विवाह नहीं करना चाहतीं। इस असमंजस में, यमदेव ने सत्यवान को पुनर्जीवित कर दिया, जिससे सावित्री की भक्ति और समर्पण की जीत हुई।
करवा चौथ की आधुनिक वजह
आज के समय में, करवा चौथ सिर्फ पौराणिक कथाओं तक सीमित नहीं रहा। यह एक ऐसा त्योहार बन चुका है जो समाज में भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। हालांकि कुछ लोग इस परंपरा को पुराने समय की मानते हैं, लेकिन करवा चौथ ने समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान बनाए रखा है। अब यह केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि कई पुरुष भी अपनी पत्नियों के सम्मान में उपवास रखते हैं।
यह त्योहार सदियों से चली आ रही इन कहानियों और मान्यताओं से प्रेरित है, जो प्रेम, आस्था, और भक्ति की गहरी भावनाओं को दर्शाता है। चाहे आप इसे धार्मिक आस्था के रूप में देखें या सामाजिक परंपरा के रूप में, करवा चौथ आज भी एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पर्व बना हुआ है।