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Premanand ji Maharaj: वृंदावन से घर आते समय इन वस्तुओं को कभी भी अपने साथ नहीं लाएं,होगी अनहोनी,प्रेमानंद जी महाराज क्या कहते हैं....

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वृंदावन में निवास पाने के लिए ऋषि-मुनियों और महात्माओं ने वर्षों तक तपस्या की।

Premanand ji Maharaj: वृंदावन से घर आते समय इन वस्तुओं को कभी भी अपने साथ नहीं लाएं,होगी अनहोनी,प्रेमानंद जी महाराज क्या कहते हैं....
प्रेमानंद जी महाराज की जरूरी बातें- फोटो : social media

Premanand ji Maharaj: वृंदावन, वह स्थान है जहां भक्तों को भगवान कृष्ण की दिव्य अनुभूति होती है। विशेष रूप से बांके बिहारी मंदिर, जो इस पावन नगरी का हृदयस्थल है, हर दिन हजारों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यशोदा नंदन के इस मंदिर में भक्तों की आस्था इतनी गहरी है कि यहां आने वाले हर व्यक्ति को आत्मिक शांति और आनंद की अनुभूति होती है।


भक्ति और तप की धरती

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वृंदावन में निवास पाने के लिए ऋषि-मुनियों और महात्माओं ने वर्षों तक तपस्या की। यहां का प्रत्येक जीव—पशु, पक्षी, पेड़-पौधे, और यहां तक कि मिट्टी—अपने तप और भक्ति के कारण इस भूमि पर स्थान पा सके हैं। इसलिए, इस पावन स्थान को गहराई से सम्मानित किया जाता है।




वृंदावन से क्या ले जाना उचित है?

प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, वृंदावन से तुलसी, पेड़-पौधे, या मिट्टी को घर ले जाना अपराध समान माना गया है। यहां के जीव-जंतु और वनस्पतियां भी भगवान के भक्त हैं, और उन्हें यहां से दूर करना उनकी तपस्या और भक्ति का अपमान है।


हालांकि, भक्त वृंदावन धाम से चंदन, रंग, पंचामृत, और कान्हा जी के वस्त्र ले जा सकते हैं। ये वस्तुएं धार्मिक दृष्टि से उचित मानी जाती हैं और उन्हें घर ले जाकर भगवान की भक्ति और सेवा में उपयोग किया जा सकता है।


वृंदावन के प्रति आस्था का सम्मान

वृंदावन केवल एक तीर्थ स्थान नहीं, बल्कि भगवान कृष्ण का दिव्य धाम है। यहां आने वाले भक्तों को इस भूमि की पवित्रता बनाए रखने के लिए सतर्क रहना चाहिए। वृंदावन का हर कण कृष्ण प्रेम से ओतप्रोत है, और इस प्रेम को सहेजकर रखना हर भक्त का कर्तव्य है।

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