Public charging stations: यूपी के 16 शहरों में ई-व्हीकल के लिए स्थापित होंगे 320 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और साफ-सुथरे परिवहन को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास में तेजी ला दी है। शहरी परिवहन विभाग ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के तहत प्रदेश के 16 बड़े शहरों में कुल 320 पब्लिक चार्जिंग स्टेशन लगाने की योजना बनाई है।
उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। बीते तीन सालों में ईवी की पंजीकरण संख्या में भारी इजाफा हुआ है, जिससे यह राज्य देश में सबसे ज्यादा ईवी उपयोग करने वाला बन गया है। इसी बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार ने चार्जिंग स्टेशन बढ़ाने की पहल की है। 2022 में योगी सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण और गतिशीलता नीति लागू की थी, जिसका मकसद निवेश आकर्षित करना और लाखों लोगों को रोजगार देना है।
इस योजना के तहत आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, अलीगढ़, मेरठ, बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, लखनऊ, गोरखपुर, शाहजहांपुर, अयोध्या, कानपुर, प्रयागराज, झांसी और वाराणसी जैसे शहरों में चार्जिंग स्टेशन लगाए जाएंगे। हर स्टेशन के लिए लगभग 180 वर्ग फीट जमीन उपलब्ध कराई जाएगी और इनमें फास्ट व स्लो चार्जर लगाए जाएंगे, जो दोपहिया, तीनपहिया और चारपहिया वाहनों के लिए उपयुक्त होंगे। ये स्टेशन बाजारों, रेस्तरां और भीड़-भाड़ वाले इलाकों के पास बनाए जाएंगे ताकि लोगों को आसानी से चार्जिंग की सुविधा मिल सके।
चार्जिंग स्टेशन का डिजाइन, निर्माण और संचालन निजी कंपनियां करेंगी। ये कंपनियां बिजली का बिल, कर, बीमा आदि का भुगतान करेंगी और सुरक्षा के साथ-साथ ग्राहकों को अच्छी सेवा भी देंगी। साथ ही, ये भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए तकनीकी सुधार करती रहेंगी। यदि अनुमति मिली तो ये कंपनियां विज्ञापन और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों के जरिए अतिरिक्त आय भी कमा सकेंगी।
नगर निगम चार्जिंग स्टेशनों के लिए जमीन मुहैया करवाएगा और बिजली कनेक्शन में मदद करेगा। इसके अलावा, हर चार्जिंग यूनिट पर नगर निगम को राजस्व में हिस्सा मिलेगा। शहरी परिवहन विभाग समय-समय पर इन स्टेशनों का निरीक्षण करता रहेगा ताकि सभी तकनीकी और सुरक्षा मानकों का पालन हो। योगी सरकार ने इस परियोजना को पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास दोनों के लिहाज से बेहद अहम बताया है।
सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम भी लागू किया है, जिसे स्वयं मुख्यमंत्री कार्यालय देखता है। विशेषज्ञ इस नीति की सराहना कर रहे हैं और मानते हैं कि यह उत्तर प्रदेश को ईवी और बैटरी निर्माण का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
देश में उम्मीद की जा रही है कि 2030 तक भारत में 10 करोड़ से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन होंगे। उत्तर प्रदेश इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम भूमिका निभाने को तैयार है। इस योजना से न सिर्फ पर्यावरण को लाभ मिलेगा बल्कि रोजगार और आर्थिक समृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा।